इसरो अध्यक्ष के. सिवान ने कहा कि 2022 तक भारतीयों को भी अंतरिक्ष में भेजने में मदद करने वाली प्रौद्योगिकी विकसित की जा चुकी है। इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में इस अभियान का जिक्र किया। सिवान ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) किसी अनजान क्षेत्र में यह कोशिश नहीं करने जा रहा, बल्कि महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी पहले ही विकसित की जा चुकी है।
उन्होंने बेंगलुरू में संवाददाताओं से कहा, “प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित समय सीमा में इसे पूरा करना मुमकिन है। इसकी समय सीमा अव्यवहारिक नहीं है। हम महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी पहले ही विकसित कर चुके हैं, जिस पर हमने कम से कम एक दशक पहले काम शुरू किया था।”
इससे पहले, सिवान ने बताया, “हम क्रू मॉडयूल, अंतरिक्ष यात्रियों को बचाने और पर्यावरण नियंत्रण तथा जान बचाने की प्रणाली जैसी प्रौद्योगिकी तथा ‘स्पेस सूट’ के साथ – साथ जीएलएसवी मार्क-III (इस अभियान में इस्तेमाल होने वाला रॉकेट) पहले ही विकसित कर चुके हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी के स्वतंत्रता दिवस संबोधन के बाद इसरो प्रमुख का आया यह बयान
सिवान ने कहा कि 2022 में अंतरिक्ष यान को रवाना करने से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जीएसएलवी मार्क-III का इस्तेमाल करते हुए दो मानवरहित मिशन और यानों को भेजेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस संबोधन के बाद इसरो प्रमुख का यह बयान आया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2022 तक “गगनयान” के जरिए भारतीय भी अंतरिक्ष में जायेंगे।
मोदी का ऐलान, भारत अंतरिक्ष में भेजेगा अपना मानव मिशन, दुनिया का चौथा देश होगा
प्रधानमंत्री की घोषणा से उत्साहित सिवान ने कहा, “राष्ट्र को प्रधानमंत्री की यह नायाब भेंट है।” उन्होंने कहा कि मानव अंतरिक्ष यान का कार्य देश को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत ऊंचे स्तर पर ले जाएगा और युवा पीढ़ी इससे प्रेरित होगी तथा हर भारतीय इस पर गर्व कर सकेगा। इसरो के अध्यक्ष ने कहा कि परियोजना की लागत उतनी नहीं आएगी क्योंकि अधिकतर प्रौद्योगिकी पहले ही विकसित की जा चुकी है।
इसरो अध्यक्ष ने अनुमान लगाया कि इस पर 10,000 करोड़ रूपये से कम की लागत आएगी और अंतरिक्ष यान मॉड्यूल का वजन करीब चार-पांच टन होगा। मिशन के लिए इसरो अंतरिक्षयात्रियों का चयन किस तरह करेगा, इस पर उन्होंने कहा, “हमें चर्चा करने की जरूरत है। तीन लोग यात्रा कर सकते हैं। अब सारी प्रक्रिया शुरू होगी।”
इसरो प्रमुख ने कहा कि यह एक राष्ट्रीय परियोजना है जहां मिशन को पूरा करने के लिए विविध संगठन, अकादमिक और उद्योग क्षेत्र की भागीदारी होगी। इस अभियान से पता चलेगा कि भारत इस क्षेत्र में विकसित देशों की तरह है। यह देश के सम्मान को बढ़ाएगा। उन्होंने कहा, “ऐसे में यह बड़ी घोषणा है। समय सीमा में (2022 तक) मिशन के लक्ष्य को पूरा करना इसरो के लिए एक बड़ी चुनौती है। हम इसे हासिल कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि तकरीबन 60-70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। अगर यह मिशन कामयाब हुआ तो भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने आंकलन किया होगा कि भारत के लिए अंतरिक्ष यात्री भेजने का यह सही समय है। सिवान ने कहा गगनयान परियोजना रिपोर्ट अगले एक या दो महीने में सरकार को सौंपी जाएगी।
बहरहाल, इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने गगनयान मिशन को इसरो के लिए महत्वपूर्ण बताया। राधाकृष्णन के नेतृत्व में 2013 में मंगलयान लांच किया गया था। वायु सेना के पूर्व पायलट राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय थे। भारत में जन्मी कल्पना चावला और भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स भी अंतरिक्ष में गयी थीं।