पटना : कृषि मंत्री डा. प्रेम कुमार ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा हरी खाद योजना के अंतर्गत राज्य के सभी जिलों में चयनित किसान भाई एवं बहनों के बीच अनुदानित दर पर मूंग के बीज का वितरण किया गया है। वर्ष 2018 में राज्य में मूंग आच्छादन का लक्ष्य 3,11,794 हेक्टेयर निर्धारित किया गया है। किसान भाई-बहन अपने खेतों में मूंग की बोआई कर चुके होंगे। मूंग की खेती से किसान दोहरा लाभ ले सकते हैं।
मूंग की फली की एक तोड़ाई कर जहां, उसके दानों को दाल के रूप में व्यवहार किया जा सकता है, वहीं मूंग की फली तोड़ाई के बाद बचे मूंग की तना एवं शाखाओं को मिट्टी में पलटकर उन्हें जैविक खाद के रूप में उपयोग कर सकते है।
कृषि मंत्री ने कहा कि यदि मूंग की हरी फसल को हरी खाद के रूप में किसान भाई-बहन व्यवहार करेंगे तो खेत की मिट्टी को 16 पोषक तत्त्व मिलेगी। साथ ही, इससे मिट्टी में हार्मोन तथा विटामिन की मात्रा भी बढ़ती है।
ऐसा करने से खेतो में खर-पतवार की वृद्धि रूकता है। उन्होंने कहा कि मूंग की फसल को बोआई के 50-55 दिनों के बाद मिट्टी में दबा दिया जाता है। उस समय वर्षा होने से यह अच्छी तरह से संड़ जाता है। मूंग की फसल को मिट्टी में पलटने के बाद पर्याप्त पानी मिलने पर यह लगभग 15 दिनों में संड़ जाता है और खेत धान की रोपाई के लिए तैयार हो जाता है।
डा. कुमार ने कहा कि मूंग, बोआई के 50-55 दिनों के बाद अच्छी बढ़वार होने पर लगभग 7-8 टन हरी खाद प्रति हेक्टेयर पैदा करती है, जिससे खेत को 0.53 प्रतिशत नेत्रजन प्राप्त होता है। गरमा मूंग को हरी खाद के रूप में उपयोग करने से उसी खेत में धान लेने पर 30-40 किलोग्राम नेत्रजन प्रति हेक्टेयर धान के पौधों को मिलता है। मूंग 20-25 किलोग्राम नेत्रजन प्रति हेक्टेयर स्थिरीकरण भी करता है। मूंग की जड़ से हेक्सासाइमिनेज इंजाइम निकलता है, जो धान की फसल के लिए फायदेमंद होता है और इसकी उत्पादकता बढ़ा देता है।
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