एक हाई प्रोफाइल घोटाले को दबाने के लिए सीबीआई ने अपने ही एक सीनियर अधिकारी को दोषी पाया है। स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना का नाम बीते हफ्ते इस मामले में सामने आने के बाद उनके खिलाफ सीबीआई ने 16 अक्टूबर को केस दर्ज कराया। हालांकि, सीबीआई ने इस मामले में चुप्पी साध ली है और मामले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है। एफआईआर में अस्थाना के अलावा देश की इंटेलिजेंस एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के स्पेशल डायरेक्टर समंत कुमार गोयल का नाम भी शामिल है।
हालांकि, उन्हें इसमें आरोपी नहीं बताया गया। पर एफआईआर में अस्थाना मुख्यारोपी माने गए हैं, जिन्होंने कथित तौर पर एक कारोबारी से घूस ली। खास बात है कि अस्थाना की अध्यक्षता वाली स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ही मोइन कुरेशी भ्रष्टाचार मामले में उस कारोबारी को लेकर पूर्व में जांच कर चुकी है। मामला मीट कारोबार से जुड़े एक चर्चित घोटाले को लेकर है। इस केस के दबाने के आरोप में एक और जांच एजेंसी के आला अधिकारी का नाम सामने आया है।
एक सीनियर अधिकारी ने मामले में केस दर्ज करने की बात की पुष्टि की। बता दें कि यह केस ठीक ऐसे समय में आया है जब जांच एजेंसी में पावर को लेकर पहले ही घमासान मचा हुआ है। पिछले दिनों सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने अपने ही डायरेक्टर आलोक वर्मा के खिलाफ सरकार से शिकायत कर दी थी जिसके बाद सीवीसी ने मामले की जांच शुरू कर दी थी। इसके बाद सीबीआई डायरेक्टर ने भी अपने नंबर दो के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। राकेश अस्थाना ने सीवीसी को लिखे पत्र में अपने फंसाए जाने की भी आशंका जाहिर की थी।
सूत्रों के अनुसार, राकेश अस्थाना ने हैदराबाद के किसी शख्स का पत्र में जिक्र किया है। पत्र में लिखा कि सीबीआई डायरेक्टर ने उस व्यक्ति से 2 करोड़ रुपए की रिश्वत ली है। बता दें कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच यह लड़ाई महीनों पहले से चल रही है। वर्मा पर आरोप है कि अस्थाना की बतौर स्पेशल डायरेक्टर नियुक्ति का विरोध किया था। आधिकारिक टूर पर जिस वक्त वर्मा देश से बाहर थे, तब भी उन्होंने सीबीआई प्रतिनिधि के तौर पर अस्थाना के मीटिंग में हिस्सा लेने पर आपत्ति की थी।