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पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने के आदेश

सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहा। सरकार का पक्ष अतिरिक्त महाधिवक्ता समदर्शी तिवारी ने रखा।

भोपाल : उत्तरप्रदेश के बाद अब मध्यप्रदेश में भी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार बंगला खाली करने के निर्देश दे दिए गए हैं। इसे लेकर मध्य प्रदेश के जबलपुर उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए आदेश जारी कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने का आदेश सुनाया। दरअसल मध्यप्रदेश के सिविल लाइन निवासी रौनक यादव द्वारा कोर्ट में राज्य सरकार के उस फैसले को चुनौती दी गई थी,

जिसमें राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगले की सुविधाएं व मंत्रियों के सामान की सुविधाएं देने का प्रावधान था। जिसकी सुनवाई करते हुए जबलपुर उच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए एक महीने में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित सरकारी बंगले को खाली करने का आदेश जारी कर दिया। गौरतलब है कि याचिका में राज्य सरकार के अलावा मध्यप्रदेश सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, कैलाश जोशी व कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को भी पक्षकर बनाया गया था।

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि राज्य सरकार ने मंत्रियों के वेतन और भत्ते अधिनियम में संशोधन कर आदेश जारी किया था। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि ऐसा करना सुप्रीम कोर्ट के द्वारा पारित कानून के खिलाफ होगा, बल्कि इससे जनता के पैसों का बेवजह दुरुपयोग भी होगा। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विपिन यादव ने कोर्ट को बताया कि याचिका लंबित रहने के दौरान 24 अगस्त 2017 को मप्र मंत्री (वेतन तथा भत्ता) अधिनियम संशोधन 2017 अधिसूचित किया गया।

इसके तहत वर्तमान मंत्रियों व पूर्व मुख्यमंत्रियों को मुफ्त सरकारी आवास प्रदान करने की व्यवस्था दी गई है, लेकिन पूर्व मंत्रियों को मुफ्त सरकारी आवास देने का प्रावधान नहीं है। लिहाजा यह संशोधन निरस्त किए जाने योग्य है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहा। सरकार का पक्ष अतिरिक्त महाधिवक्ता समदर्शी तिवारी ने रखा।

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