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गांधी और मोदी नहीं, देश की सवा करोड़ देशवासी ही बना सकते है ‘स्वच्छ भारत ‘

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नयी दिल्ली : सुराज की स्थापना के लिये स्वच्छाग्रही देशवासियों के जनभागीदारी के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक हजार गांधीजी आ जाएं, 1 लाख मोदी आ जाएं, सभी मुख्यमंत्री और सरकरें लग जाएं लेकिन स्वच्छता का सपना तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक सवा सौ करोड़ देशवासी इसे जनभागीदारी के साथ आगे नहीं बढ़ाएंगे।

 

स्वच्छ भारत अभियान के तीन साल पूरा होने पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छता अभियान के तीन साल में हम आगे बढ़े हैं। इस कार्यक्रम को तीन वर्ष पहले जब मैंने शुरू किया था, तब मीडिया, राजनीतिक दलों समेत कई वर्गाे से मुझे आलोचना का सामना करना पड़ा था। बेशक, इसके लिए लोगों ने मेरी आलोचना की कि हमारी 2 अक्टूबर की छुट्टी खराब कर दी । बच्चों की छुट्टी खराब की । मेरा स्वभाव है कि बहुत सी चीजें झेलता रहता हूं । मेरा दायित्व भी ऐसा है, झेलना भी चाहिए और झेलने की कैपेसिटी भी बढ़ा रहा हूं। हम तीन साल तक लगातार लगे रहे।

उन्होंने कहा कि हम आगे बढ़े हैं, लोगों का व्यापक समर्थन मिला है, मीडिया का व्यापक समर्थन मिला है । इतना व्यापक समर्थन हो और फिर भी चीजों को गति नहीं दे पाएं, तब तो जवाब देना पड़ेगा । इस काम में चुनौतियां हैं लेकिन इससे भागा नहीं जा सकता। प्रधानमंत्री मोदी ने सवालिया अंदाज में कहा, चुनौतियां हैं, इसलिये इस काम को हाथ नहीं लगाये, चुनौतियां है, इसलिए देश को ऐसे ही रहने दिया जाए उन्हीं चीजों को हाथ लगाये जहां वाहवाही मिले, जयकारा मिले क्या ऐसे काम से भागना चाहिए?

मोदी ने कहा कि कोई इंसान ऐसा नहीं है, जिसे गंदगी पसंद हो, मूलत: हमारी प्रवृत्ति स्वच्छता पसंद करने की है । हमारे देश में एक गैप रह गया कि स्वच्छता काम की शुरूआत कौन करें ? प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, एक हजार गांधी जी आ जाएं, एक लाख मोदी आ जाएं, राज्य सरकारें आ जाए, मुख्यमंत्री आ जाएं… तो भी स्वच्छता का सपना पूरा नहीं हो सकता, लेकिन सवा सौ करोड़ देशवासी आ जाएं तो पूरा हो जाएगा। मुझे विश्वास है कि पांच साल आते-आते यह खबर नहीं छपेगी कि कौन स्वच्छता अभियान से जुड़ा था, बल्कि यह छपेगा कि इससे दूर कौन भाग रहे थे। समाज की शक्ति को अगर हम स्वीकार करके चलें, जन भागीदारी को स्वीकार करके चलें, सरकार को कम करते चलें,समाज को बढ़ाते चलें तो यह मिशन सफल होता ही जाएगा। उन्होंने कहा कि हम महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर चल रहे हैं और उनका बताया रास्ता गलत हो ही नहीं सकता।

मोदी ने कहा कि स्वच्छता अभियान भारत सरकार का नहीं, देश के सामान्य आदमी का सपना बन चुका है। अब तक जो सफलता मिली है वह देशवासियों की है, सरकार की नहीं। समाज की भागीदारी के बिना स्वच्छता मिशन पूरा नहीं हो सकता। दुर्भाज्ञ से हमने बहुत सारी चीजें सरकारी बना दी। हमें समझना होगा कि जब तक जनभागीदारी होती है तब तक कोई समस्या नहीं आती है और इसका उदाहरण गंगा तट पर आयोजित होने वाला कुंभ महोत्सव है।

स्वच्छता अभियान पर तंज कसने वालों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज कुछ लोग ऐसे हैं जो अभी भी इसका (स्वच्छता अभियान) मजाक उड़ाते हैं, आलोचना करते हैं। वे कभी स्वच्छ अभियान में गये ही नहीं। आलोचना करते हैं, तो उनकी मर्जी, उनकी कुछ मुश्किलें होंगी। लेकिन पांच साल पूरा होने पर मीडिया में यह खबर नहीं आयेगी कि स्वच्छता अभियान में किसने हिस्सा लिया, कौन काम कर रहा ह। खबर यह आयेगी कि कौन लोग इससे दूर भाग रहे हैं और कौन लोग इसके खिलाफ थे। क्योंकि जब देश किसी बात को स्वीकार कर लेता है, तब चाहे-अनचाहे आपको स्वीकार करना ही होता है।

 

उन्होंने कहा कि स्वच्छता का सपना अब बापू का सपना नहीं रहा बल्कि यह जनमानस का सपना बन चुका है। अब तक जो सिद्धी मिली है, वह सरकार की सिद्धी नहीं है, यह भारत सरकार या राज्य सरकार की सिद्धी नहीं है। यह सिद्धी स्वच्छाग्रही देशवासियों की सिद्धी है। मोदी ने कहा कि हमें स्वराज्य मिला और स्वरात्य का शस्त्र सत्याग्रह था। सुराज का सशस्त्र स्वच्छाग्रह है। प्रधानमंत्री ने उदाहरण दिया कि एक गांव में शौचालय बनवाया गया। बाद में वहां जाकर देखा तो लोगों ने उनमें बकरियां बांध रखी थी, लेकिन इसके बावजूद हमें काम करना है। समाज का सहयोग जरूरी है। स्वच्छता के लिये जब हाथ साबुन से धोने के अभियान की बात आई तब भी लोगों ने हमें गालियां दीं।

उन्होंने कहा कि मोदी को गाली देने के लिये हजार विषय है। हर दिन कोई न कोई ऐसा करता मिलेगा। लेकिन समाज के लिये जो विषय बदलाव लाने वाले हैं, उन्हें मजाक का विषय नहीं बनाया जाए। उन विषयों को राजनीति के कटघरे में नहीं रखें। बदलाव के लिये हम सभी को जनभागीदारी के साथ काम करना है।

उन्होंने कहा कि स्वच्छता के लिये वैचारिक आंदोलन भी चाहिए। व्यवस्थाओं के विकास के बावजूद भी परिवर्तन तब तक नहीं आता है जब तक वह वैचारिक आंदोलन का रूप नहीं लेता है। बच्चों समेत अन्य लोगों को पुरस्कार प्रदान करते हुए मोदी ने कहा कि चित्रकला एवं निबंध प्रतियोगिता ऐसे ही वैचारिक आंदोलन का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि सरकार सोचे कि हम इमारतें बना देंगे और टीचर दे देंगे तो सब कुछ ठीक हो जाएगा तो ऐसा नहीं है। घरवाले अगर बच्चे को स्कूल नहीं भजेंगे तो शिक्षा का प्रसार कैसे होगा। ऐसे में समाज की भागीदारी बहुत जरूरी है।

स्वच्छ भारत अभियान पर  मोदी के 10 बड़ी बातें
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  1. पीएम मोदी ने दिल्ली में कहा कि एक भारतीय नागरिक होने की खातिर यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है कि हम साल 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाए जाने तक उनके स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करें।
  2. पीएम मोदी ने काशी में स्वच्छता अभियान पर जोर देते हुए कहा कि स्वच्छता मेरे लिए पूजा है। सफाई गरीब भारत की सेवा का एक तरीका है। उन्होंने कहा कि शहंशाहपुर के लोगों ने गांव को ओडीएफ बनाने का संकल्प किया है। उन्होंने कहा कि गांव के लोग 2 अक्टूबर के बाद खुले में शौच नहीं करेंगे।
  3. पीएम मोदी ने स्वच्छता अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि आज वो शहंशाहपुर में शौचालय की नींव रखने गये थे। वहां उन्हें यह देखकर काफी अच्छा लगा कि उन्होंने शौचालय का नाम इज्जतघर रखा हुआ था। इसीलिए जिसे भी इज्जत की चिंता है वो अपने घरों में इज्जतघर जरूर बनवाएं।
  4. अमरेली में पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने हमें बहुत कुछ दिया है और आगे भी देता रहेगा लेकिन हम सभी का फर्ज बनता है कि हम भारत स्वच्छ रखें। इससे न केवल देश का नाम ऊंचा होगा बल्कि आप का जीवन काफी सरल और स्वस्थय होगा।
  5. पीएम मोदी ने उत्तराखंड में कहा कि भारत को स्वच्छ बनाने का काम किसी एक व्यक्ति या अकेले सरकार का नहीं है। यह काम तो देश के 125 करोड़ लोगों द्वारा किया जाना है जो भारत माता के पुत्र-पुत्रियां हैं।
  6. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में कहा कि स्वच्छ भारत अभियान को एक जन आंदोलन में तब्‍दील करना चाहिए। लोगों को ठान लेना चाहिए कि वह न तो गंदगी करेंगे और न ही करने देंगे। उन्होंने कहा कि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक साफ-सफाई न होने के चलते भारत में प्रति व्‍यक्ति औसतन 6500 रुपये जाया हो जाते हैं।
  7. डिजिटल प्रदर्शनी के उद्घाटन पर बोले मोदी ने कहा कि स्वच्‍छ भारत जन स्‍वास्‍थ्‍य पर अनुकूल असर डालेगा और इसके साथ ही गरीबों की गाढ़ी कमाई की बचत भी होगी। जिससे अर्थव्‍यवस्‍था में महत्‍वपूर्ण योगदान होगा। उन्‍होंने लोगों से साफ-सफाई के सपने को साकार करने के लिए इसमें हर वर्ष 100 घंटे योगदान करने की अपील की।
  8. देश के इतिहास में पहली बार आयोजित टाउन हॉल में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साफ-सफाई को राजनीतिक चश्‍मे से नहीं देखा जाना चाहिए। बल्कि इसे देशभक्ति और जन स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति कटिबद्धता से जोड़ कर देखा जाना चाहिए।
  9. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी को हमें कुछ तो देना चाहिए। 2019 में गांधी के जब 150 वर्ष होते हैं। तब हमें ‘स्वच्छ भारत’ और ये सामूहिक दायित्वों से बना हुआ भारत। स्वच्छ भारत की सफलता इसमें है कि सवा सौ करोड़ देशवासी इसमें जुड़ें।
  10. विज्ञान भवन में पीएम मोदी ने कहा कि मैं स्वच्छ भारत अभियान के काम को वंदन करता हूं और इसलिए मैं हाथ जोड़कर विशेषकर कर मीडिया को और देशवासियों को कहता हूं। इस सारे आंदोलन को सिर्फ मां भारती की भक्ति से जोड़िए, गरीब से गरीब के स्वास्थ्य से जोड़िए. कौन कर रहा है, कौन नहीं कर रहा है, कौन सफल हुआ, कौन विफल हुआ, इसके पीछे पड़कर के हम स्थितियों को न बिगाड़ें, न बदलें। केवल स्वच्छ भारत अभियान पर ध्यान दें।

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