भोपाल वर्ष 1984 में हुए भोपाल गैस त्रासदी के पीडितों के पांच संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया है कि भोपाल गैस त्रासदी के मामले में निर्णय होने तक भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली हेतु यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन उपलब्ध रहे।
भोपाल गैस पीडितों के पांच संगठनों के नेताओं ने आज यहां मीडिया से कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा गया, ‘‘ यूनियन कार्बाइड के स्वामित्व का सौ प्रतिशत मालिक डॉब केमिकल, जो नवम्बर 2014 से अपने अधीन कम्पनी (यूनियन कार्बाइड) के अदालत में हाजिर न होने के संबंध में सफाई पेश करने हेतु भोपाल ज़िला अदालत की 5 निर्देशों की अवहेलना कर चुका है, ने पिछले साल अमेरिका की डूपोण्ट नेमोर्स कम्पनी के साथ विलय कर डाव डूपोण्ट इंकोर्पोरेटेड कम्पनी बनाई है।
यह कम्पनी अब जून 1, 2019 तक विलयित कम्पनी को तीन हिस्से में बाँटना चाहती है। अमेरिका में दायर की गई जानकारी के मुताबिक इस विखण्डन से यूनियन कार्बाइड भी अलग अलग कम्पनियों में बंट जाएगी।’’संगठनों के अनुसार पत्र में लिखा गया है कि यह एक बुनियादी कानूनी सिद्धान्त है कि अपराधिक ज़िम्मेदारी एक से किसी दूसरे पर नहीं डाली जा सकती है, उसके उत्तराधिकारी पर भी नहीं।
अत: जब यूनियन कार्बाइड अपने वर्तमान स्वरूप में मौजूद ही नहीं होगी तब भारतीय अदालतों को यूनियन कार्बाइड के खिलाफ लंबित गम्भीर आरोपों पर कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भोपाल गैस कांड मामले में यूनियन कार्बाइड को वर्ष 1992 में भोपाल जिला अदालत द्वारा फरार घोषित किया गया था और यह आज तक अभियोजन से बचती चली आ रही है।
पत्रकार वार्ता में भोपाल गैस पीड़ित स्टेशनरी कर्मचारी संघ, भोपाल गैस पीडि़त निराश्रित पेंशन भोगी संघर्ष मोर्चा, भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरूष संघर्ष मोर्चा और डॉव कार्बाइड के खिलाफ बच्चे नामक संगठनों ने हिस्सा लिया।
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