रायपुर : छत्तीसगढ़ के चुनावी मैदान में घमासान तेज होने लगा है। विभिन्न राज्यों के चुनाव परिणाम में सत्ताधारी दल के हाथों से सत्ता फिसलने के बाद एंटी इंकमबेंसी फैक्टर का डर सता रहा है। रमन सरकार जरूर विकास यात्रा में निकल गई है। वहीं प्रदेश में करीब डेढ़ दशक से सत्ता में रहने के बाद एंटी इंकमबेंसी की आशंका बढ़ी है। इस वजह से भी सरकार का जोर विकास दिखाने पर है।
विकास यात्रा से पहले सुराज अभियान के जरिए भी एंटी इंकमबेंसी फैक्टर को कम करने की कवायदें हुई थी। इस बार चुनाव आचार संहिता प्रभावी होने से पहले तक यात्रा जारी रहेगी। वहीं सरकार माहौल बनाते हुए एंटी इंकमबेंसी फैक्टर को दूर करने पर जोर देगी। अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर साफ दिखी। वहीं जिन राज्यों में भाजपा रिपीट हुई वहां भी सीटें कम हो गई। यही वजह है कि सत्ता विरोधी लहर को बड़ा फैक्टर माना जा रहा है।
हालांकि प्रदेश में सत्ताधारी दल भाजपा के नेताओं का दावा है कि यहां किसी तरह का एंटी इंकमबेंसी फैक्टर नहीं है। वहीं जनता ने विकास को ही हर बार चुना है। इस बार भी विकास पर ही मुहर लगेगी। हालांकि विपक्ष का इस मामले में अपना अलग दावा है। प्रदेश में भ्रष्टाचार और सरकार की विफलताओं के साथ आम लोगों की दिक्कतों की वजह से ही सत्ता विरोधी लहर होने के दावे किए जा रहे हैं।
वहीं सरकारी स्तर पर भी नाराजगी सामने आ रही है। विभिन्न संगठनों के आंदोलित होने के बाद समीकरण बदलने का भरोसा है। हालांकि सरकार ने दावा किया है कि नाराजगी के बाद सभी वर्गों की समस्याओं को दूर करने की कोशिशें हुई है। वहीं सरकार ने इन वर्गों को संतुष्ट करने ही विभिन्न योजनाओं को लांच किया है। एंटी इंकमबेंसी फैक्टर के प्रभाव को लेकर अपने अपने दावे हैं। माना जा रहा है कि इस मामले में कई तरह की स्थिति बन सकती है।
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