रायपुर : नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने राज्य की भाजपा सरकार को कर्मचारी विरोधी बताया है। उन्होंने कहा कि, प्रदेश में वर्ष 2013 में भाजपा की सरकार बनी। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में राज्य के कर्मचारियों को सेवाकाल के दौरान चार स्तरीय वेतनमान देने की घोषणा की थी, कार्यकाल समाप्त होने में महज कुछ ही समय शेष है,अभी तक चार स्तरीय वेतनमान कर्मचारियों को नहीं दिया गया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, केन्द्र में सांतवा वेतनमान लागू होने के पश्चात जुलाई 2017 से राज्य के कर्मचारियों को सातवां वेतनमान मिलना प्रारंभ हुआ, किन्तु आजपर्यन्त इसके एरियर के भुगतान के संबंध में राज्य सरकार मौन है। केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को मिलने वाले विभिन्न भत्तों यथा मकान भत्ता, एजुकेशन भत्ता, वाहन भत्ता, यात्रा भत्ता, चिकित्सा भत्ता इत्यादि को सांतवें वेतनमान के आधार पर संशोधित कर लागू कर दिये हैं, किन्तु राज्य में अभी भी छठवां वेतन आयोग के आधार पर ही पूर्व के दरों पर भत्तों का भुगतान किया जा रहा है,जिससे कर्मचारियेां को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
एक ओर राज्य के मुखिया यह कहते हैं कि, राज्य की वित्तीय स्थिति बेहतर है,एवं जब-जब केन्द्र में मंहगाई भत्तों में वृध्दि होगी,तब-तब राज्य के कर्मचारियों को भी मंहगाई भत्ता दिया जायेगा, किन्तु स्थिति इसके विपरीत है राज्य के कर्मचारियों को मंहगाई भत्ता तक नहीं दिया जा रहा है। यहां तक कि वित्त विभाग द्वारा आगामी एक वर्ष तक सीधी भर्ती पर प्रतिबंध भी लगा दिया है,जिससे प्रदेश के युवा,बेरोजगार भी अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। चिकित्सकों से लेकर मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षाकर्मी, दैनिक वेतनभोगी कर्मी इत्यादि भी अपने मांगों को लेकर आंदोलित है। राज्य में आर्थिक अव्यवस्था की स्थिति व्याप्त हो गई है।
सरकार का योजनाओं के क्रियान्वयन एवं विभागों के संचालन में नियंत्रण समाप्त हो गया है। राज्य के कर्मचारी अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे है एवं आंदोलित है। कर्मचारी संगठनों ने अनेकोबार अपनी जायज मांगों व समस्याओं से शासन को अवगत कराया,किन्तु राज्य सरकार ने कर्मचारियों की कोई सुध नहीं ली। सीमावर्ती राज्य मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों ने अपने कर्मचारियों को सातवां वेतनमान का एरियर का भुगतान कर संशोधित दरों पर भत्ते इत्यादि लागू कर दिये है, किन्तु छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार का रवैया कर्मचारियों से जुड़े तमाम महत्वपूर्ण मामलों पर उदासीन है,जो कि इस बात की पुष्टि करता है कि, राज्य की भाजपा सरकार कर्मचारी विरोधी है।
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