गुरुग्राम : अरावली की पहाडिय़ों को नुकसान पहुंचाने पर एनजीटी ने हरियाणा सरकार पर 30 हजार का जुर्माना लगाया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने हरियाणा सरकार को मानेसर एक्सप्रेस. वे केएमपी के निर्माण में अरावली को हुए नुकसान के संबंध में जवाब दायर करने का निर्देश दिया था।
पिछले माह प्रदेश सरकार को जारी किया गया था नोटिस
बताते चलें कि गुरुग्राम के एक आरटीआई कार्यकर्ता हरेंद्र ढींगरा ने केएमपी निर्माण के विरोध में एनजीटी में एक याचिका दायर की थी। याचिका में श्री ढींगरा ने कहा कि था कि केएमपी रोड के निर्माण के दायरे में 12 किलोमीटर के क्षेत्र में अरावली की पहाडिय़ा आती हैं। हालांकि इस प्रस्तावित रोड की कुल लंबाई 30 किलोमीटर है। याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने पिछले माह प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था।
टैंडर प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही तोड़ दी गई पहाडिय़ा
आरटीआई एक्टिविस्ट हरेंद्र ढींगरा ने मानेसर एक्सप्रेस.वे के निर्माण में तोड़ी जा रही पहाडिय़ा के विरोध मेंं एनजीटी में याचिका दायर कर विरोध जताया था। हरेंद्र ढींगरा ने बताया कि एनजीटी ने 27 दिसंबर 2017 को सरकार ने पर्यावरण और वन मंत्रालय में आवेदन किया था। मंत्रालय की तरफ से पर्यावरण संबंधी सभी रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन संबंधित विभाग ने आनन.फानन में टेडर जारी कर दिए। टेंडर की प्रक्रिया पूरी किए बिना ही पहाडिय़ों को काटना शुरू कर दिया था।
लापरवाही बरतने पर लगाया गया जुर्माना ढींगरा
ढींगरा का कहना है केएमपी निर्माण के लिए जिन पहाडिय़ों को तोड़ा गया है वह गैरमुमकिन पहाड़ी क्षेत्र हैं यहां निर्माण संभव नहीं है। इस क्षेत्र में शिकोहपुर सकतपुर, गैरतपुर बास गांव आते हैं जहां पर पूर्ण रूप पहाडिय़ों को नुकसान पहुंचाना वर्जित है। इन इलाकों में सड़क निर्माण नहंीं किया जा सकता। यहां पर केएमपी के निर्माण में लापरवाही हुई है। इसलिए एनजीटी ने हरियाणा सरकार पर 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
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– सतबीर भारद्वाज