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हरियाणा की सियासत में SYL बना एक मुद्दा

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सिरसा: हरियाणा को अस्तित्व में आए 50 साल बीत जाने के बाद भी एसवाईएल नहर का पानी नही मिल पाया है और इस मामले को लेकर हरियाणा के हर राजनीतिक दल ने अपने-अपने स्तर पर राजनीति करने की पूरी कोशिश की है लेकिन पिछले 12 सालों से सत्ता से दूर हुई इंडियन नेशनल लोकदल एसवाईएल का पानी हरियाणा के खेतों में लाने के लिए आतुर नजर आ रही है और यही कारण है कि इनेलो लगातार एसवाईएल की लड़ाई को आंदोलन में तबदील कर तेज किए हुए है। एसवाईएल की लड़ाई लड़ रहे अभय चौटाला के इस मुददे को जोरदार ढग़ से आंदोलन में तबदील करने के बाद अब हरियाणा के किसान और आमजनमानस के साथ इनेलो कार्यकर्ता अभय चौटाला को इस मुददे को हल करने के लिए अपना सेनापति मान चुके है। अभय चौटाला के एसवाईएल के निर्माण को लेकर कड़े तेवर भी इस बात का संकेत दे रहे है कि वे अब एसवाईएल की लड़ाई पर आर-पार के मूड में है और किसी भी कीमत पर हरियाणा के किसानों को एसवाईएल का पानी दिलवाना चाहते है।

हरियाणा में पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई भाजपा के शासनकाल को दो वर्ष से भी ज्यादा का समय बीत चुका है और हरियाणा का जनमानस भाजपा राज में आरक्षण की आग में जले हुए हरियाणा को भूल नही पा रही है और यही कारण है कि भाजपा सरकार से आमजन खुश नजर नही आ रहा है। एसवाईएल नहर के निर्माण को लेकर चौ.देवीलाल परिवार शुरू से सक्रिय रहा है,जिसका सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि इनेलो राज के दौरान ही हरियाणा सरकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी लेकिन उसके बाद हरियाणा में दस सालों तक भूपेन्द्र सिंह हुडडा की सरकार के रहते हुए इस मामले को निपटाने का कोई प्रयास नही हुआ। हांलाकि हुडडा सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान हांसी-बुटाना लिंक नहर पर जरूर करोड़ो रूपये खर्च किए,जिसका कोई लाभ मिलता हुआ प्रदेश को दिखाई नही दिया। अब जब प्रदेश में और केन्द्र में भाजपा की सरकार है और सुप्रीम कोर्ट ने भी हरियाणा के हित में करीब एक वर्ष पूर्व ही निर्णय दे दिया है, उसके बावजूद भी भाजपा सरकार इस मामले को निपटाने में नाकाम साबित हुई है।

भाजपा के एसवाईएल के प्रति नकारात्मक रूख को देखते हुए ही इनेलो ने सबसे पहले हरियाणा की पांच हजार से भी ज्यादा पंचायतों से रेजुलेशन पास करवाकर देश के प्रधानमंत्री को भेजने का काम किया जिसमें हरियाणा के किसानों ने ये मांग की थी कि जल्द से जल्द उनके खेतों में एसवाईएल नहर का पानी पहुंचे। इनेलो ने इसी वर्ष अंबाला से नहर खुदाई का भी आहवान प्रदेशभर के लोगों से किया था जिसमें लाखों लोगों ने पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी। अब सवाल ये उठता है कि जब सुप्रीमकोर्ट ने हरियाणा के हित में अपना निर्णय दे दिया है तो आखिर क्यों प्रदेश के मुख्यमंत्री इस मुददे पर कोई सकारात्मक रूख नही दिखा रहे है जबकि विपक्ष लगातार मुख्यमंत्री खटटर पर एसवाईएल में मामले में अनदेखी के आरोप लगातार लगा चुके है। 10 जुलाई को हरियाणा भर में एसवाईएल के मुददे पर इनेलो द्वारा किए गए रास्ता रोकों प्रदर्शन में अभय चौटाला के लिए लगे जलयौद्वा के नारों ने एक बात तो स्पष्ट कर दी है कि इनेलो का कार्यकर्ता हो या हरियाणा का आमजन,अब अभय चौटाला पर एसवाईएल का पानी लाने के लिए विश्वास कर रहा है।

अभय चौटाला द्वारा एसवाईएल का पानी लाने के लिए लड़ी जा रही लड़ाई को पूरा समर्थन भी लोगों का मिलना ये दर्शाता है कि उनकी लड़ाई अब कुछ ना कुछ करके ही दम लेने वाली है। नेता प्रतिपक्ष के नाते अभय चौटाला के नेतृत्व में इनेलो ने विपक्ष के किरदार को उचित ढग़ से निभाते हुए पिछले दो वर्ष में सरकार की हर गलत नीति का जोरदार विरोध किया है और लगातार आमजनमानस की आवाज उठाई है और यही कारण है कि अभय चौटाला पर अब प्रदेश के किसानों को ये विश्वास हो गया है कि एसवाईएल का पानी जो किसान के लिए बेहद जरूरी है और उसे लाने की लड़ाई केवल अभय चौटाला ही लड़ सकते है।यहां ये गौरतलब है कि इनेलो सुप्रीमों चौ.ओमप्रकाश चौटाला व उनके विधायक पुत्र अजय चौटाला को जेबीटी भर्ती मामले में जेल हो जाने के बाद सभी राजनीतिक पार्टियां यही प्रचार करने में जुट गई थी कि इनेलो पार्टी अब खत्म हो गई लेकिन उसके बाद हुए लोकसभा चुनावों में चली मोदी लहर को इनेलो अभय चौटाला के कुशल नेतृत्व में हिसार से आगे नही बढऩे दिया और हिसार और सिरसा की दो लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी जिता लिए। इन चुनावों में सत्ताधारी कांग्रेस मात्र एक ही लोकसभा सीट ले पाई थे और यही हाल उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में हुआ जब इनेलो को लोगों ने विपक्ष में बैठने की जिम्मेदारी दे दी।

(दीपक शर्मा)

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