रोहतक : बरवाला कांड से क्षुब्ध रामपाल के अनुयायियों ने सरकार को चेताया कि अगर समय रहते झूठे मुकदमे वापिस नहीं लिए तो चुनाव में भाजपा का पूर्णतय बहिष्कार किया जाएगा। अनुयायियों का तो यहां तक कहना है कि प्रदेश में 12 लाख से अधिक अनुयायी मतदाता है, जोकि प्रत्येक हलके में इनका प्रभाव है। साथ ही अनुयायियों ने यह भी कहा कि मुकदमों के संबंध में तीन बार मुख्यमंत्री के साथ बैठक हो चुकी है। मुख्यमंत्री तो मानते है कि जो उनके साथ हुआ वह गलत है, लेकिन अधिकारी मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे है। बरवाला कांड को लेकर अनुयायियों ने सीधे सीधे एक अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पर साजिश रचने का आरोप लगाया है।
इसके अलावा अनुयायियों ने हिसार में चल रहे ट्रायल केस को देकर भी सरकार पर केस को प्रभावित करने का आरोप लगाया। रामपाल अनुयायियों ने सीबीआई से मामले की जांच कराने की मांग की, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। बरवाला कांड में मृतकों के परिजनो ने भी आपबीती बताई और कहा कि पुलिस द्वारा आश्रम में दागे गए आंसू गैस से दम घुटने के कारण अनुयायियों की मौत हुई थी, लेकिन पुलिस ने उनसे कोरे कागजातो पर हस्ताक्षर करवाकर रामपाल के खिलाफ ही झूठे मुकदमे दर्ज कर लिए, जबकि वे इस बारे में कई बार अदालत में शपथ पत्र भी दे चुके है।
सोमवार को तिलियार लेक पर रामपाल अनुयायियों की एक अहम बैठक हुई, जिसमें बरवाला कांड को लेकर विचार विमर्श किया गया। बैठक में बरवाला कांड के दौरान हुई हिंसा में मारे गए मृतको के परिजन भी मौजूद रहे। बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सतलोक आश्रम के मीडिया प्रभारी चांद सिंह राठी ने बताया कि पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बरवाला कांड की साजिश रची थी और उसी के चलते रामपाल के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किए गए। राठी ने बताया कि अब सरकार इन केसो को लेकर ट्रायल बेस को भी प्रभावित कर रही है, जोकि सरासर गलत है। चांद राठी का कहना है कि मुख्यमंत्री तो मान चुके है कि उनके साथ ठीक नहीं हुआ है, लेकिन अधिकारी उन्हें गुमराह कर रहे है।
उन्होंने बताया कि बैठक में निर्णय लिया गया कि अगर समय रहते बरवाला कांड से संबंधित मामले रद्द नहीं किए गए तो प्रदेश में 12 लाख अनुयायी मतदाता है, जो भाजपा का बहिष्कार कर देंगे। राठी ने यह भी दावा किया कि प्रत्येक हलके में बीस से 25 हजार मतदाताओं को अनुयायी प्रभावित करेंगे। इसके अलावा सरकार पर भी सवाल उठाए कि रामपाल की पेशी के दौरान भी अनुयायियों पर झूठे मुकदमे दर्ज उन्हें प्रताडित किया जा रहा है। बैठक में मौजूद बरवाला कांड को लेकर रामपाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने वाले दिल्ली निवासी शिवपाल ने बताया कि बरवाला में जो छह लोगों की मौत हुई थी, उसके लिए सरकार व पुलिस प्रशासन जिम्मेदार है। उन्हें बंधक रामपाल व उसके अनुयायियों ने नहीं बल्कि पुलिस ने घेर रखा था और आंसू गैस के गोलो की वजह से छह अनुयायियों की मौत हुई है।
शिवपाल ने यह भी बताया कि हिंसा में उसकी पति सरिता की मौत हुई थी और पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव देने के लिए कुछ खाली कागजातो पर उसके हस्ताक्षर करवाए थे और बाद में इन्ही हस्ताक्षरो पर रामपाल के खिलाफ झूठा केस दर्ज किया गया। वहीं गांव जाखौदा यूपी निवासी सुरेश ने भी अपनी आप बीती बताई। सुरेश ने बताया कि वह अपनी पत्नी रजनी व दादी काशी भाई के साथ बरवाला आश्रम में सतसंग के लिए आया था। यहां पर 18 नवंबर 2014 को पुलिस ने आशु गैस के गोले छोडे, जिससे उसकी पत्नी की मौत हो गई। पुलिस ने झूठ हस्ताक्षर कराए और बाद में इस संबंध में रामपाल के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया, जबकि सारा दोष पुलिस व सरकार का है।