रोहतक : करौथा सतलोक आश्रम के संचालक संत रामपाल पर वर्ष 2006 में दर्ज जमीन धोखाधड़ी के मामले में जिला अदालत ने सुनवाई करते हुए रामपाल सहित चार लोगों को बरी कर दिया, जबकि तीन लोगों को दोषी करार दिया है, जिन्हें सात मई को सजा सुनाई जाएगी। अदालत के फैसले का रामपाल के अनुयायियों ने स्वागत किया और कहा कि संत पर बनाए गए अन्य केस भी झूठे है, लेकिन उन्हें अदालत पर न्याय का पूरा भरोसा है। मंगलवार को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए हिसार जेल में बंद रामपाल की रोहतक में हरीश गोयल की अदालत में पेशी हुई। रामपाल के वकील सुशील सरदाना ने बताया कि वर्ष 2006 में बंदी छोड़ भक्ति मुक्ति ट्रस्ट के नाम गिफ्ट डीड के तहत करौंथा की जमीन की रोहतक तहसील में रजिस्ट्री करवाई गई थी, लेकिन सिविल लाइन थाने में रजिस्ट्री को चुनौती देते हुए शिकायत दर्ज करवाई गई थी।
आरोप लगाया गया था कि कमला देवी की जगह दूसरी महिला को खड़ा करके रजिस्ट्री करवाई गई है। जबकि कमला देवी की भी जमीन में हिस्सेदारी थी। जमीन धोखाधड़ी का मामला अदालत में विचाराधीन था, जिसमें संत रामपाल, राजेन्द्र, रविन्द्र ढाका, सत्यदेव, कृष्ण नम्बरदार, रुबीना, कृष्णा, राजेन्द्र व एक अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। वकील सुशील सरदाना ने बताया कि जमीन धोखाधड़ी मामले में मंगलवार को हरीश गोयल की अदालत में सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने संत रामपाल, राजेन्द्र, रविन्द्र ढाका व कृष्ण नम्बरदार को बरी कर दिया है।
जबकि रुबीना, कृष्णा व राजेन्द्र को दोषी करार दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस मामले में एक आरोपी की पहले ही मौत हो चुकी है। वहीं सत्यदेव नामक आरोपी अदालत के सामने पेश नही हुआ। अदालत द्वारा फैसला सुनाते ही पुलिस ने रूबीना, कृष्णा व राजेन्द्र को हिरासत में ले लिया और दोषियों को सात मई को सजा सुनाई जाएगी।
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(मनमोहन कथूरिया)