पलवल: कृषि विशेषज्ञ डॉ.महावीर सिंह मलिक ने कहा है कि जिले में किसानों ने करीब 18 हजार हेक्टेयर भूमि में ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल बोई हुई है। इन दिनों में मौसम में बार-बार बदलाव से मूंग में पीला मोजेक रोग का प्रकोप है। काफी मात्रा में फसल रोग की चपेट में है। इसकी वजह से मूंग के उत्पादन पर विपरीत असर पड़ेगा। इसकी रोकथाम के लिए किसान समय रहते पीला मोजेक रोग फैलाने वाली सफेद मक्खी की रोकथाम के उपाय जरूर करें। डॉ.मलिक बुधवार को गांव अगवानपुर में आयोजित किसान प्रशिक्षण शिविर को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सफेद मक्खी से फसलों से बचाव के लिए बिजाई के 20-25 दिन बाद ही 250 मि.ली. डाइमेथेएट 30 ई.सी. दवा को 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर देना चाहिए। जरूरत पड़े तो 10-15 दिन बाद दोबारा छिड़काव कर दें। रोग प्रभावित पौधों को शुरू में ही निकाल कर फेंक दें।
पूरे खेत में रोग फैलने पर इसका इलाज नहीं रहता है। उन्होंने कहा कि पीला मोजेक रोग रोधी किस्में एमएच-421, पूसा विशाल, बसंता, पूसा-9531 किस्में ही उगाएं तथा 70-80 प्रतिशत फलियां पकने पर ही फसल की कटाई कर लें और फलियां तोड़ लें। फलियां तोडऩे के बाद मूंग फसल की रोटाविटर से जुताई करके बाजरा, मक्का, ज्वार की बिजाई करें या धान की रोपाई करें। उन्होंने किसानों को मूंग के खेतों पर ले जाकर पीला मोजेक फैलाने वाली कीट की पहचान भी बताई। इस मौके पर ठाकुर यशपाल सिंह, सुदेश सिंह, डालचंद, मुकेश, प्रदीप, अशोक, गजेंद्र, विक्रम सिंह, सतीश, देवेंद्र, सरला, कविता मुख्य रूप से मौजूद थे। शिविर संयोजक बबली चौधरी ने विशेषज्ञों का धन्यवाद किया।
– देशपाल सौरोत