गुरुग्राम: नगर निगम, हुडा, जिला प्रशासन के वो दावे जो उन्होंने 26 जून को आपदा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा के सामने किए थे सब पानी में धुल गए। अधिकारियों ने वायदा किया था प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए प्रशासन ने पूरे प्रबंध किए हुए हैं, शहर में कहीं भी जलभराव और जाम नहीं लग सकेगा। लेकिन इसके उपट बरसात होते ही सरकार और प्रशासन के उन दावों की हवा निकल गई है। हालांकि अभी कोई आपदा नहीं आई, लेकिन प्राकृतिक बरसात के सामने ही प्रशासन के प्रबंध बौने साबित हो गए हैं। खुद सीएम भी यहां जाम में फंस चुके हैं, लेकिन प्रशासन शहर में बरसाती पानी की निकासी के कुछ प्रबंध नहीं कर पा रहा है, और पूरा गुरुग्राम पानी-पानी हो गया। गुरुग्राम में गत चार दिनों से बरसात लगातार जारी है।
रविवार को सुबह एक घंटे हुई बरसात ने तो प्रशासन के दावे फेल हो गए हैं। शहर की गलियां हो या फिर ग्रामीण क्षेत्र जहां भी देखों पानी ही पानी नजर आ रहा है। जहां विकास कार्य चल रहे हैं, वहां को छोड़ दें तो बाकी नए और पुराने शहर में बरसात से दिक्कतें खूब पैदा हुई हैं। जलभराव की वजह से लोगों की दिनचर्या प्रभावित हुई है। कई जगह पर सड़कें भी धंसी तो कई जगह सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई। लंबे समय तक जलभराव होने के कारण सड़कों का टूट जाना इस बात की ओर इशारा करता है कि इनके निर्माण में किस स्तर की सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। शहर की कालोनियों से लेकर हुडा के सेक्टर्स, ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों, गलियों की हालत खस्ता हो गई है। शहर में वीआईपी मूवमेंट के चलते तो प्रशासन सड़कों को दुरुस्त कराने में जरा सी देर नहीं करता, लेकिन सामान्य तौर पर कई-कई महीने टूटी हुई सड़कों की सुध तक नहीं ली जाती।
वाहन चालक परेशान होते रहते हैं। इससे जाहिर है कि प्रशासन अपनी मर्जी से काम करता है, उसे लोगों की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है। गुरुग्राम शहर की नीची कालोनियों में जलभराव बड़ी समस्या बना हुआ है। वहां से निकलना भी मुश्किल रहा है। नजर नहीं आ रहे पानी निकासी के साधन: बात करें सेक्टर-4, सेक्टर-5, सेक्टर-9 व 9ए, बसई गांव, अर्जुन नगर, मदनपुरी, हीरा नगर, सेक्टर-10, कादीपुर, सिविल लाइन, शिवाजी नगर, सदर बाजार, आचार्यपुरी, राजीव नगर, श्रीशीतला माता रोड, मार्बल मार्केट, पालम विहार, रेजांगला चौक, सेक्टर-22 व 23, सरहौल गांव, सेक्टर-18, उद्योग विहार समेत कई स्थानों पर हुआ जलभराव आम लोगों के लिए समस्या बना। यहां बरसाती पानी की निकासी के कोई साधन नहीं नजर आए। वाहनों के संचालन से पानी कभी इधर तो कभी उधर जाता रहा।
नए गुरुग्राम में भी समस्याओं का अंबार: नए गुरुग्राम में बरसात से जलभराव ऐसा है कि गगनचुंबी इमारतों की परछाई इस पानी में नजर आती है। जितनी ऊंचाई पर यहां लोग रह रहे हैं, उससे कहीं अधिक दूर उनसे सुविधाएं हैं। करोड़ों की प्रॉपर्टी खरीदने के बाद भी लोग सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। बिल्डर उन्हें सुविधाएं देने में हाथ पीछे खींच रहे हैं तो सरकारी स्तर पर भी कुछ नहीं किया जा रहा। ऐसे में इस शहर का नाम विश्व के मानचित्र पर लाने वाले लोग अपने को ठगा सा महसूस करते हैं। इन्हीं लोगों की बदौलत और ऊंची शीशे की इमारतों की बदौलत सरकार यहां पूंजीनिवेश के लिए दावा ठोंकती है। ऐसे में यहां सुविधाएं देने के लिए भी सरकार को प्रयास किए जाने चाहिए, यह मांग वहां के निवासियों की है।
– सतबीर भारद्वाज