लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

सुभाष बराला के विरोधियों को मिला मौका!

NULL

चंडीगढ़: अगस्त के पहले सप्ताह में हुआ चंडीगढ़ छेड़छाड़ प्रकरण ने जहां भाजपा संगठन और सरकार को बैकफुट पर ला दिया, वहीं विपक्षी दलों को राजनीतिक रोटियां सेंकने का भरपूर मौका दे दिया। पूरे घटनाक्रम में अपनी उपस्तिथि दर्ज कराने की होड़ में भाजपा विरोधी कांग्रेस-इनेलो ने जांच-पड़ताल शुरू होने से पूर्व ही पुलिस और विकास बराला पक्ष में राजनीतिक संलिप्तता साबित करने की होड़ लग गई, जबकि खुद कुंडु परिवार पुलिस की भूमिका से संतुष्ट थे। हालात ऐसे हुए कि वर्णिका कुंडु और उनके अधिकारी पिता के बयानों के मायने समझे बिना ही विपक्ष भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला के राजनीतिक प्रोफाइल को निशाने पर लेने में जुट गया। बीते शुक्रवार और शनिवार की मध्य रात्रि में चंडीगढ़ में हरियाणा सरकार में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी वीएस कुंडु की बेटी द्वारा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे विकास बराला एवं उसके मित्र आशीष पर जबरदस्ती गाडी रुकवाने और अपहरण करने के प्रयास का आरोप लगाते हुए चंडीगढ़ और हरियाणा के राजनीतिक गलियारों में हड़कम्प मचा दिया था।

शनिवार से ही वर्णिका कुंडु और उनके अधिकारी पिता द्वारा पुलिस कार्रवाई पर सन्तुष्टि जताने तथा सधे हुए शब्दों में कानून अपना काम करे, ऐसी उम्मीद जताई थी। वहीं दूसरी और आपसी खींचतान में उलझी कांग्रेस और इनेलो को मानो बैठे बिठाए ऐसा मुद्दा मिल गया, जिसमें भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला के राजनीतिक प्रोफाइल को बड़ी तेजी से निशाने पर लिया गया। कुंडु परिवार द्वारा पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई और राजनीतिक दबाव नहीं आने के सोशल मीडिया, प्रिंट, इलेक्ट्रानिक पर अपने बयान जारी करने के बावजूद कांग्रेस-इनेलो ने इसे कैश कराने में कसर नहीं छोड़ी। पूरे घटनाक्रम में लगातार राजनीतिक दबाव के बयान जारी करते हुए भाजपा के विरोधियों ने सुर्खियों में आने का मौका भुनाया।

जबकि घटनाक्रम में पुलिस द्वारा कोई राजनीतिक दबाव नहीं होने तथा समय- समय पर वर्णिका कुंडु द्वारा दिए गए बयान के आधार पर ही धाराओं में बदलाव किया गया। पूरे मामले में भाजपा के सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक दलों ने अपनी छवि चमकाने के चक्कर में ऐसी होड़ दिखाई कि उन्हें भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला द्वारा कानून का सम्मान करने, वर्णिका को बेटी की तरह बताते हुए कानून को अपना काम करने की स्वतंत्रता का समर्थन करना नजर नहीं आया। यही नहीं हर बार पुलिस के निर्देश पर विकास बराला और आशीष के जांच प्रक्रिया में शामिल होने के सकारात्मक पक्ष को भी तवज्जो देने की बजाय विलेन की तरह पेश किया गया। अब जबकि विकास बराला और आशीष चंडीगढ़ पुलिस की पूछताछ में अपहरण की कोशिश करने से इनकार कर चुके हैं, ऐसे में देखने वाली बात होगी कि भाजपा विरोधी अभी जांच प्रक्रिया के पूरे होने का इंतजार करेंगे या भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला को निशाने पर लेते रहेंगे, हालांकि विपक्षी दलों के राजनीतिक मंसूबे जरूर जनता के सामने जगजाहिर हो चुके हैं।

पुलिस की हड़बड़ाहट से शुरू हुआ राजनीतिक बवाल: शनिवार को ही चंडीगढ़ के डीएसपी ईस्ट सतीश कुमार द्वारा प्रेस कांफ्रेंस करके बयान जारी किया गया कि आरोपियों पर अपहरण करने की कोशिश करने की धारा लगेंगी। जबकि 20 मिनट बाद ही वर्णिका कुंडु के 164 के तहत हुए बयान की मूल कापी के आधार पर पुलिस ने विकास बराला और आशीष को जमानत दे दी। ऐसे में पुलिस अधिकारी के विरोधाभासी बयान जारी होने से राजनीतिक बवाल मच गया। पुलिस द्वारा ऐसे दस्तावेज भी पेश नहीं किए गए, जो दोनों विचारों की पुष्टि की जा सके। इसी के चलते अधिकारियों की शैली पर सवाल उठने लगे। कमोबेश यहीं से भाजपा विरोधी दलों की राजनीतिक रोटियां सेंकने के मंसूबे नजर आने लगे।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fifteen + fourteen =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।