गुरुग्राम : मासूम छात्र प्रिंस हत्याकांड के मामले में सीबीआई ने गुरुग्राम पुलिस पर गेरी गाज। तीन पुलिस अधिकारियों को नोटिस देकर सीबीआई कार्यालय में किया तलब। मासूम छात्र हत्याकांड में कंडक्टर अशोक को झूठा फंसाने में इन तीन पुलिस अधिकारियों की रही अहम भूमिका। एक पुलिस आयुक्त कार्यालय में तैनात है जबकि दो भोंडसी थाना में तैनात हैं। सीबीआई के नोटिस से पुलिस विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
नोटिस मिलते ही पुलिस विभाग में मची खलबली : सीबीआई इस बात का खुलासा करने की तैयारी में है कि मासूम प्रिंस हत्याकांड में कंडक्टर अशोक को गिरफ़्तार करने में किसने दिए थे आदेश। इसके पीछे कौन-कौन शामिल हैं। इन तीन पुलिस अधिकारियों को जल्द ही गिरफ्तार कर इस बात का खुलासा करने की तैयारी में है कि हत्या के आरोप में झूठा गिरफ्तार करने में किस पुलिस अधिकारी की भूमिका रही है। पूरे गुरुग्राम पुलिस विभाग में खलबली मची हुई है।
सीबीआई जांच में झूठी साबित हुई एसआईटी : बताते चलें कि आठ सितंबर 2017 को साइबर सिटी एक नामी स्कूल में दूसरी कक्षा के छात्र प्रिंस की बेरहमी से गला रेत कर हत्या कर दी गई थी। केेंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुग्राम के देशभर में चर्चित हुए इस हत्याकांड में बारीकी से जांच करके कम समय में ही पुलिस की एसआईटी जांच का पासा पलटकर रख दिया।
सीबीआई ने साउथ डीसीपी को भेजा पत्र
पुलिस ने आनन-फानन में एक कंडक्टर अशोक को हत्या का आरोपी बनाकर अपनी पीठ थपथपाई, वहीं सीबीआई ने इस हत्याकांड में स्कूल के ही एक छात्र भोलू को हत्या के आरोप में गिरफ्तार करके कंडक्टर को इस मामले में क्लीनचिट दे दी। साथ ही गुरुग्राम पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा दिए। अब सीबीआई ने गुरुग्राम पुलिस उपायुक्त साउथ को पत्र भेजकर तीन पुलिस अधिकारियों को जांच में शामिल होने को कहा है।
इन पुलिस अधिकारियों को किया तलब
भोंडसी थाना के एसआई शमशेर सिंह, भोंडसी थाना के ईएएसआई सुभाष और पुलिस आयुक्त कार्यालय में तैनात वैज्ञानिक सहायक ज्योति सिंह को तलब किया गया। इन अधिकारियों को आज सीबीआई ने दिल्ली जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया है। माना जा रहा है कि सीबीआई इन तीनों अधिकारियों से लंबी पूछताछ कर सकती है।
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री पर भी लगे थे आरोप : साइबर सिटी के नामी स्कूल में हुए हत्याकांड के बाद काफी बवाल काटा गया था। यह मामला इतना चर्चित हुआ कि इसमें काफी हिंसा हुई थी और पत्रकारेां को पुलिस की लाठियां खानी पड़ी थी।
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– सतबीर भारद्वाज