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परिजनों व ग्रामीणों ने हाइवे पर शव रख लगाया जाम

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मानेसर : पारस अस्पताल में हुई युवक की मौत से बिफरे ग्रामीणों ने बृहस्पतिवार को दिल्ली-जयपुर हाईवे को जाम कर दिया। ग्रामीणों ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल प्रबंधन की तरफ से युवक से मिलने भी नहीं दिया जा रहा था और मौत के बाद 1 लाख 80 रुपये का बिल बनाकर परिजनों को दे दिया गया। ग्रामीणों ने शव को हाईवे पर ही रखकर हाईवे पर करीब डेढ़ घंटे तक जाम लगाए रखा। इस दौरान वहां भारी पुलिस बल भी तैनात रहा। डीसीपी साउथ अशोक बख्शी और मानेसर तहसीलदार मीतू धनखड़ द्वारा अस्पताल प्रबंधन और डॉक्रों पर सख्त कार्रवाई करने के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने जाम खोल दिया। बता दें कि गांव मानेसर निवासी 21 वर्षीय दीपक यादव को फेफड़ों में पानी बनने के कारण 19 फरवरी को गुरुग्राम के पारस अस्पताल में दाखिल कराया गया था।

परिजनों का कहना है कि शुरु में डॉक्टरों ने कहा कि वह नोर्मल है और जल्द ही ठीक हो जाएगा लेकिन 20 फरवरी की सुबह डॉक्टरों ने सैंपल लिया। सैंपल लेते ही दीपक की तबीयत खराब हुई और इसके कुछ समय बाद ही उसकी मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि दीपक के सैंपल लेने के बाद परिजनों ने उससे मिलने की इच्छा जताई लेकिन अस्पताल प्रबंधन की तरफ से उन्हें अंदर नहीं जाने दिया और दीपक से नहीं मिलने दिया गया। कुछ समय बाद परिजनों को डॉक्टरों की तरफ से सूचना दी गई की दीपक की दिल का दौरा पडऩे से मौत हो गई है। परिजनों का आरोप है कि जब उसे फेफड़े में पानी बनने की बिमारी को लेकर अस्पताल में भर्ती कराया गया था तो फिर उसकी मौत दिल का दौरा पडऩे से कैसे हुई। परिजनों के अनुसार दीपक को दिल में कोई परेशानी नहीं थी। उनका आरोप है कि दीपक की मौत अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवही के कारण हुई है।

परिजनों ने पुलिस पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि जब दीपक की मौत हुई थी तो पारस अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुसिस को फोन किया गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। घटना के दो घंटे बाद पुलिस अस्पताल में पहुंची और उसके बाद भी मामला दर्ज नहीं किया गया। दीपक की मौत से गुस्साए ग्रामीणों ने कहा कि निजी अस्पतालों की मनमानी से कई बार लोगों की मौत हो चुकी है इसके बाद भी इन अस्पतालों पर कोई कर्रवाई नहीं की जाती है। ऐसे में इन अस्पतालों में अपराध का आंकड़ा प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। परिजनों ने कहा कि दीपक मौत सुबह करीब सवा छह बजे हुई थी लेकिन अस्पताल प्रबंधन की तरफ से दोपहर 12 बजे उन्हें सूचना दी गई। ग्रामीणों ने भाजपा सरकार मुर्दाबाद, मोदी सरकार मुर्दाबाद, पारस अस्पताल मुर्दाबाद और पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद के नारे भी लगाए।

दिल्ली-जयपुर हाईवे पर जाम लगाने से हाईवे से आने वाली हजारों गाडिय़ां जाम में फंस गई और उनमें मौजूद लोगों को परेशान होना पड़ा। एसीपी शकुंतला जाम खुलवाने पहुंची लेकिन परिजनों की तरफ से डॉक्टरों के लाइसेंस रद करने और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज कर सख्त कार्रवाई करने की मांग पर अड़े रहे। उनके द्वारा पुलिस आयुक्त, जिला उपायुक्त और विधायक को मौके पर बुलाने की मांग भी की जा रही थी। मानेसर थाना प्रभारी राहुल, आइएमटी थाना प्रभारी मुकेश यादव द्वारा ग्रामीणों के साथ बैठक कर सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया लेकिन ग्रामीणों ने जाम नहीं खोला और सबके बीच में ही बैठकर उच्च अधिकारियों द्वारा आश्वासन देने और कार्रवाई करने की मांग की गई। डीसीपी अशोक बख्शी और मानेसर तहसीलदार मीतू धनखड़ ने मौके पर पहुंच परिजनों की मांगों पर सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया जिसके बाद परिजनों और ग्रामीणों ने जाम को खोल दिया।

निजी अस्पताल की मनमानी के चलते हो रहे हादसे : ग्रामीणों ने बताया कि यह कोई पहला मामला नही हैं इससे पहले भी नामी गिरामी अस्पताल में ऐसे हादसे हो चुके हैं उसके बावजूद सरकार कोई सख्त कार्यवाही नही कर रही हैं। पहले भी गुरुग्राम के मेदांता ओर फोर्टिस अस्पताल में इस प्रकार की लापरवाही के आरोप लग चुके हैं लेकिन सिर्फ मामले दर्ज किए गए कोई ठोस कार्यवाही नही की गई। सरकार के खिलाफ ग्रामीणों में रोष ग्रामीणों ने जमकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

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