कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आज उस याचिका पर आदेश देने से इनकार कर दिया जिसमें राज्य निर्वाचन आयोग को यह निर्देश देने का आग्रह किया गया था कि वह पश्चिम बंगाल में हो रहे पंचायत चुनावों के लिए ई – मेल के जरिए भेजे गए नामांकन स्वीकार करे। अदालत ने कहा कि वह हस्तक्षेप नहीं करना चाहती।
यह उल्लेख करते हुए कि इस तरह का निर्देश जारी करने के लिए कोई विशेष स्थिति दिखाई नहीं देती है , न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार ने माकपा द्वारा दायर याचिका को निपटा दिया।
न्यायमूर्ति तालुकदार ने कहा कि अदालत पंचायत चुनावों पर पहले ही अपने विचार व्यक्त कर चुकी है और वाम दल द्वारा दायर इस याचिका पर अदालत की तरफ से कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। उन्होंने पूर्व में पंचायत चुनाव प्रक्रिया को स्थगित कर दिया था और राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि वह नई अधिसूचना जारी कर नामांकन भरवाए।
न्यायमूर्ति तालुकदार ने व्यवस्था दी थी कि अधिसूचना रद्द करने की मांग करने वाली भाजपा , माकपा और अन्य विपक्षी दलों द्वारा दायर याचिकाएं स्वीकार करने योग्य हैं। उन्होंने आयोग को निर्देश दिया था कि वह चुनावों के लिए नई तारीख निर्धारित करे और उसी के अनुसार चुनाव कराए।
माकपा की ओर से पेश विकास भट्टाचार्य ने आज राज्य निर्वाचन आयोग को यह निर्देश देने का आग्रह किया कि वह ई – मेल से भेजे गए नामांकनों को स्वीकार करे। उन्होंने यह भी कहा कि आयोग ने 23 अप्रैल को नामांकन भरने के निर्धारित समय पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न तीन बजे के बाद नौ उम्मीदवारों के नामांकन व्हाट्सएप पर स्वीकार किए थे।
आयोग के सचिव नीलांजन शांडिल्य ने यह कहकर याचिका का विरोध किया कि पश्चिम बंगाल पंचायत कानून 2003 के अनुसार नामांकन उम्मीदवार या उसके प्रस्तावक द्वारा व्यक्तिगत रूप से भरे जाने चाहिए।
उन्होंने उल्लेख किया कि व्हाट्सएप पर नौ नामांकन विशेष परिस्थितियों में स्वीकार किए गए। अदालत ने सोमवार को आयोग को निर्देश दिया था कि वह दक्षिणी 24 परगना जिले के भांगर में पोलेरहाट -2 ग्राम पंचायत के उन 11 उम्मीदवारों के नामांकन भरने के लिए प्रबंध करे जिन्होंने दावा किया था कि सशस्त्र गुंडे उन्हें नामांकन भरने के लिए चुनाव कार्यालय जाने से रोक रहे हैं।
उम्मीदवारों का प्रतिनिधत्व कर रहीं शर्मिष्ठा चौधरी ने न्यायमूर्ति तालुकदार को कल सूचित किया कि 11 में से नौ उम्मीदवारों ने व्हाट्सएप के जरिए अपना नामांकन भरा।
उन्होंने दावा किया कि उम्मीदवारों ने अपने भरे हुए नामांकन पत्रों की तस्वीरें संबंधित अधिकारियों को व्हाट्सएप के जरिए भेजीं क्योंकि इन उम्मीदवारों के साथ धक्कामुक्की गई और अलीपुर सर्वे बिल्डिंग में उनसे उनके कागजात छीन लिए गए जहां उन्हें आयोग के बताए अनुसार नामांकन दाखिल करना था।
शर्मिष्ठा ने यह भी दावा किया था कि नामांकनों का शुल्क नहीं भरा जा सका क्योंकि उम्मीदवारों के मूल दस्तावेज छीन लिए गए थे , इसलिए हो सकता है कि छंटनी के दौरान नामांकनों को अवैध घोषित कर दिया जाए।
न्यायमूर्ति तालुकदार ने तब राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव को निर्देश दिया था कि नौ उम्मीदवारों के नामांकनों को वैध माना जाए और तकनीकी नियमों के आधार पर अदालत कोई अनिश्चितता बर्दाश्त नहीं करेगी। शांडिल्य ने अदालत में हलफनामा दायर किया कि नामांकनों को वैध माना जाएगा और उम्मीदवारों का नाम मत पत्रों में होगा।
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