सुहैब इलियासी केस में दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। आपको बता दे कि सुहैब इलियासी को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने सुहैब पर 2 लाख का जुर्माना भी लगाया है। सुहैब इलियासी को उनकी पत्नी के हत्या के मामले में कोर्ट ने 16 दिसंबर को दोषी करार दिया था। बता दें बीते 17 सालों से यह मामला अदालत में था। 17 साल बाद कोर्ट ने इस मामले में सजा सुनाई है। जिरह में सरकारी वकील ने सुहैब इलियासी के लिए फांसी की सजा की मांग की थी।
वहीं, सुहैब के वकील ने कोर्ट में 3 फैसलों का उदाहरण देते हुए कम से कम सजा का अनुरोध किया था उन्होंने कहा कि सुहैब व्यथित और मानसिक रूप से परेशान था इसलिए उसे मृत्युदंड न दिया जाए क्योंकि ये सजा दुर्लभ से दुर्लभ मामलों में ही मिलती है।
सुहैब इलियासी ने कहा कि मैं बेकसूर हूं। मैं ऊपरी अदालत में इस आदेश के खिलाफ अपील करुंगा। हाईकोर्ट में सारे सबूत ले कर जाऊंगा। मुझे उम्मीद है कि वहां मुझे न्याय मिलेगा। मेरे खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है
वकील ने कहा कि ये पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है। इसका कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। लिहाज़ा इस मामले को दुर्लभ की श्रेणी मे नहीं रखा जा सकता। इसके अलावा इस मामले में बर्बरता या सुनियोजित साजिश नहीं की गई है।
बता दें कि 11 जनवरी साल 2000 में इलियासी ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी थी। उसने अपने दोस्त को बताया कि उनकी पत्नी अंजू ने खुदकुशी कर ली है। जबकि, अंजू के परिवार ने सुहैब पर कत्ल का इल्जाम लगाया।
पुलिस ने जांच शुरु की तो इलियासी दोषी पाया गया, उसके बाद मार्च 2000 में सुहैब को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के कुछ वक्त बाद सुहैब को बेल मिल गई। इस पर अंजू के परिवार ने असंतोष जताया और हाईकोर्ट में मामले की दोबारा जांच की अपील की।
2014 में अपील को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने हत्या की धाराओं में केस की जांच करने का आदेश दिया। पुलिस ने दोबारा जांच शुरु की तो नए पन्ने खुलते चले गए। पोस्टमार्टम करने वाले 3 डॉक्टरों में से एक ने हत्या का शक भी जाहिर किया था। 5 डॉक्टरों का एक पैनल बनाया गया जिन्होंने हत्या की आशंका जताई। अंजू की मौत 10 बजकर 45 मिनट पर हुई थी जबकि सुहैब उसे 12 बजकर 26 मिनट पर एम्स ले कर पहुंचे थे। पुलिस को बाथरूम में भी खून के निशान मिले थे।
आपको बता दे कि सुहेब इलियासी व अंजू वर्ष 1989 में जामिया मिलिया इस्लामिया में एक साथ पढ़ रहे थे। तभी दोनों के बीच प्रेम संबंध बने। आईआईटी कानपुर में अधिकारी अंजू के पिता इन दोनों के प्रेम संबंधों के खिलाफ थे। इसके बावजूद सुहेब व अंजू ने वर्ष 1993 में लंदन में विशेष विवाह अधिनियम के तहत प्रेम विवाह किया था। अंजू ने अपना नाम बदलकर अफसान रख लिया था। मगर वर्ष 2000 आने तक दोनों के संबंधों में खटास बढ़ने लगी थी। अंजू सुहेब से तलाक लेना चाहती थी। इसी बात को लेकर दोनों के बीच झगड़े हो रहे थे। घटना के समय इनकी एक ढाई साल की बेटी भी थी।
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