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उद्योगपति बैंक से ऋण लेकर भाग जाते हैं वहीं जीविका दीदी ऋण लेने के बाद नीतीश कुमार

दीदी का सबसे बड़ा योगदान है। इस अवसर पर विकास आयुक्त शशि शेखर शर्मा, सचिव अरविन्द कुमार चौधरी, धन्यवाद ज्ञापन बाला मुरूगन डी. ने किया।

पटना : जब 2005 में हमारी सरकार बनी तो हमने उत्पाद एवंमद्य निषेध विभाग को कहा कि सिर्फ हम उत्पाद करेेंगे और मद्य निषेध पर कोई कानून नहीं बनाये। इसी बीच हमसे एक कार्यक्रम में जीविका दीदी ने कहा कि भईया आप शराबबंद कर दीजिये शराब से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की स्थिति का दुर्भाग्य हो रहा है। उक्त बातें आज अधिवेशन भवन में सतत जीविकोपार्जन योजना के शुभारंभ अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभा को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि शराबबंदी से बिहार समेत पूरा देश खुश है विदेशों से भी फोन आते हैं कि शराबबंदी से लोगों में नयी जागृति आयी है। उन्होंने कहा कि बहुत ऐसे राज्यों में बड़े-बड़े विज्ञापन देकर शराब का प्रचार-प्रसार किया जाता है मगर हम उससे बहुत दूर भागते हैं। क्योंकि जनता का पैसा विज्ञापन पर खर्च करना हमारी आदत नहीं। हम महात्मा गांधी के अनुयायी हैं।

महात्मा गांधी ने कहा था कि अगर सत्ता आपके पास आ जाये तो आप मालिक नहीं बल्कि एक ट्रस्टी हो सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि विज्ञापन पर मुझे विश्वास नहीं है विश्वास है तो गांधी जी पर। उन्होंने कहा था कि जनता के लिए काम करने वाला एक ट्रस्टी होता है। जीविका छह जिलों के 44 प्रखंडों में शुरू किया था आज जीविका पूरे बिहार में महिलाओं को जोडऩे का काम कर रही है। पंचायत स्तर पर इंदिरा आवास, शौचालय, बाल विवाह कानून, शराबबंदी एवं छोटी-मोटी घटनाओं पर भी नजर रखकर उन्हें ठीक करने के लिए जीकिवा की महिलाएं काम कर रही है। बिहार के विकास में जीविका दीदीयों का बहुत बड़ा योगदान है।

शराबबंदी के बाद खुले में शौच से मुक्ति अभियान को गति देने वाले गरीब उन्मूलन एवं महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए जीविका दीदी की बहुत बड़ी भागीदारी रही है। सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत अत्यंत निर्धन परिवार दलित आदिवासी, समुदाय को जीविका द्वारा वित्तीय सहायता उपलब्ध कराकर उन्हें कुशल बनाया जायेगा। कर्पूरी ठाकुर ने शराब बंदी लागू की थी और केन्द्र में मुरारजी देसाई की सरकार थी जब कर्पूरी ठाकुर हट गये तो शराबबंदी फिर से शुरू हो गयी। हमें शराबबंदी के नाम पर लोग जिततना गाली दें मुझे परवाह नहीं है मैं शराबबंदी पर कभीसमझौता नहीं करने वाला हॅू। हमने अप्रैल महीने से गांव में देशी और विदेशी शराब को बंद रखा था मगर देखा कि शराब की सप्लाई देहातों में जा रही है तो उसी महीने में ही पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी। शराबबंदी के विरोध मानव श्रृंखला गया जिसमें चार करोड़ ल ोग शामिल हुए। शराब पीना और शराब बेचना लोगों का मौलिक अधिकार नहीं है।

गांव गरीब क्षेत्र में गरीब गुरबा ताड़ी बेचकर गुजारा करते थे वैसे लोगों को जीविका द्वारा बकरी पालन पशुपालन एवं अन्य छोटे छोटे कुटीर उद्योग दिया जा रहा है। जीविकोपार्जन द्वारा प्रत्येक परिवार को रोजगार करने हेतु 60 हजार रुपया और सात महीने तक एक एक हजार रुपया दिया जायेगा। कन्या विवाह में लोगों को जन्म से लेकर शादी तक खर्च सरकार दे रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जन वितरण पहले गांव में कभी देते थे तो भी नहीं देते थे। अब जन वितरण चलने वालों से पूछे तो कहेगा कोई लाभ नहीं है। अब जन वितरण की दुकानें जीविका दीदी चला रही है वह कहती है कि छह हजार रुपया लाभ होता है और ग्रामीण क्षेत्र में अनाज भी सही मिल रहा है। उन्होंने कहा कि बड़े लोग बैंकों से कर्ज लेकर भाग जाते हैं और कर्ज वापस नहीं करते हैं। मगर बिहार के गामीण क्षेत्र में गरीब गुरबा महिलाएं चाहे वह दलित हो या आदिवासी पिछड़ा हो या अतिपिछड़ा सभी महिलाएं जीविका द्वारा बैंक से कर्ज लेकर उसे वापस कर देती है।

उन्होंने कहा कि जो बैंक से 100 प्रतिशत ऋण लेने वाली महिलाएं 98 प्रतिशत बैंक को दे देती है इससेब ड़ी खुशी की बात और कया हो सकती है? मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़े बड़े कल कारखाना लगाकर कुछ लोगों को रोजगार देने से गरीबी दूर नहीं होगी। जब तक सभी को रोजगार नहीं मिले। उन्होंने कहा कि जो भी बिहार में अपराध करने वाले को छोड़ा नहीं जायेगा चाहे कितना भी पहुंच वाला क्यों न हो? उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि शराबबंदी बिहार में सफलता का प्रतीक है। पिछले दिन दिल्ली में वित्त विभाग का एक कार्यक्रम में सभी राज्यों के प्रतिनिधि पहुंचे हुए थे। उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी से लोगों में बहुत खुशी है हमलोग भी सोंच रहे हैं अपने राज्य में भी शराबबंदी लागू करें लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। जब दा2005 में हमारी सरकार आयी तो हमने हैदराबाद में स्वयं समूह का नाम नहीं जानते थे। मगर जब वहां गये तो ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाने केलिए स्वयं समूह का बहुत बड़ी भूमिका है। आन्ध्र प्रदेश में उस समय दस हजार स्वयं समूह काम करते थे।

अभी बिहार में 96 लाख परिवार को सहायता समूह से जोड़ा गया है। 49 हजार से अधिक ग्राम संगठन का गठन किया गया है। गांव की महिलाएं जीविका द्वारा लोगों को रोजगार दिया जा रहा है। गामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि राज्य मे गरीब परिवार को आगे बढ़ाने के लिए जीविका सबसे बड़ा साधन जरिया बन चुका है। शराब और ताड़ी बेचकर गुजरा करते थे उन्हें जीविका से जोड़ कर उन्हें छोटे मोटे दुकान एवं अन्य उद्योग से जोड़ा जा रहा। ऐसे पांच हजार लोगों को चिन्ळित किया गया है जिसे जीविका से जोड़ा जायेगा। बिहार में 814 स्वयं सहायता समूह में 78000 लोगों का बीमा कराया गया है। जीविका दीदी द्वारा जो बैंक से लोन लेते हैं उन्हें 98 प्रतिशत पैसा चुकता कर दिया गया। कोई बैंक वाला जीविका का न ाम सुनते ही सबसे आगे ऋण देने को तैयार होते हैं। जीविका द्वारा पशुपालन बकरी पालन नीरा अगरबत्ती, कृषि योजना, प्रधानमंत्री आवास, राशन किरासन, से भी जोडऩे का काम करते हैं। शराबबंदी को सफलबनाने केलिए जीविका दीदी का सबसे बड़ा योगदान है। इस अवसर पर विकास आयुक्त शशि शेखर शर्मा, सचिव अरविन्द कुमार चौधरी, धन्यवाद ज्ञापन बाला मुरूगन डी. ने किया।

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