चेन्नई: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आज अंतरिक्ष में शतक लगाया है। सुबह 9.28 पर श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से इसरो अपने 100वें उपग्रह को लॉन्च किया। कार्टोसैट 2 सैटेलाइट से 710 किलो वजनी है। यह निगरानी उपग्रह है और इससे तटीय क्षेत्रों और शहरों की निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें हाईरेजुलेशन कैमरा लगा है जिससे खींची फोटो का इस्तेमाल किया जाएगा। चार स्तर पर लॉन्च किया जाएगा। ढाई घंटे की ये प्रक्रिया है. सह-यात्री उपग्रहों में भारत का एक माइक्रो और एक नैनो उपग्रह शामिल है जबकि छह अन्य देशों – कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के तीन माइक्रो और 25 नैनो उपग्रह शामिल किए जा रहे हैं। आपको बता दें कि चार महीने पहले 31 अगस्त 2017 इसी तरह का एक प्रक्षेपास्त्र पृथ्वी की निम्न कक्षा में देश के आठवें नेविगेशन उपग्रह को वितरित करने में असफल रहा था। पीएसएलवी-सी40 वर्ष 2018 की पहली अंतरिक्ष परियोजना है।
PSLV-C40 Successfully Launches Cartosat-2 Series Satellitehttps://t.co/bTZaQRjLmo
— ISRO (@isro) January 12, 2018
इसरो के प्रक्षेपण से परेशान है पाकिस्तान
इसरो और भारत की इस उपलब्धि पर पाकिस्तान हैरान-परेशान नजर आ रहा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की ओर से इसरो के 100वें उपग्रह की लॉन्चिंग से पहले कहा कि भारत जिन उपग्रहों का प्रक्षेपण कर रहा है, उससे वह दोहरी नीति अपना रहा है। पाकिस्तान का कहना है कि इन उपग्रहों का इस्तेमाल नागरिक और सैन्य उदेश्य में किया जा सकता है। उसने कहा है कि इसका इस्तेमाल सैन्य क्षमताओं के लिए न किया जाए, अगर ऐसा होता है तो इसका क्षेत्र पर गलत प्रभाव पड़ेगा।
पीएसएलवी सैटेलाइट से जुड़ी खास बातें
- इसरो एक साथ 31 सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे PSLV C-40 अपने साथ सबसे भारी कार्टोसैट 2 सीरीज के उपग्रह के अलावा 30 दूसरी सैटलाइट अंतरिक्ष में भेजे ।
- इसमें एक भारतीय माइक्रो सैटेलाइट और एक नैनो सैटेलाइट के अलावा 28 छोटे विदेशी उपग्रह हैं।
- पृथ्वी अवलोकन के लिए 710 किलोग्राम का काटरेसेट-2 सीरीज मिशन का प्राथमिक उपग्रह है। इसके साथ सह यात्री उपग्रह भी है जिसमें 100 किलोग्राम का माइक्रो और 10 किलोग्राम का नैनो उपग्रह भी शामिल हैं।
- चौथे चरण के पीएसएलवी-सी-40 की ऊंचाई 44.4 मीटर और वजन 320 टन होगा। पीएसएलवी के साथ 1332 किलो वजनी 31 उपग्रह एकीकृत किए गए हैं ताकि उन्हें प्रेक्षपण के बाद पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में तैनात किया जा सके।
- 42वें मिशन के लिए इसरो भरोसेमंद कार्योपयोगी ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी40 को भेजेगा जो कार्टोसेट-2 श्रृंखला के उपग्रह और 30 सह-यात्रियों, जिनका कुल वजन करीब 613 किलोग्राम है।
- श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से इस 44.4 मीटर लंबे रॉकेट को प्रक्षेपित किया जाएगा।
- सह-यात्री उपग्रहों में भारत का एक माइक्रो और एक नैनो उपग्रह शामिल है जबकि छह अन्य देशों – कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के तीन माइक्रो और 25 नैनो उपग्रह शामिल किए जा रहे हैं।
- इसरो और एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच हुए व्यापारिक समझौतों के तहत इन 28 अंतरराष्ट्रीय उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जाएगा। यह 100वां उपग्रह कार्टोसेट -2 श्रृंखला का तीसरा उपग्रह होगा।
- कुल 28 अंतर्राष्ट्रीय सह यात्री उपग्रहों में से 19 अमेरिका, पांच दक्षिण कोरिया और एक-एक कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन और फिनलैंड के हैं।
- चार महीने पहले 31 अगस्त 2017 इसी तरह का एक प्रक्षेपास्त्र पृथ्वी की निम्न कक्षा में देश के आठवें नेविगेशन उपग्रह को वितरित करने में असफल रहा था। पीएसएलवी-सी40 वर्ष 2018 की पहली अंतरिक्ष परियोजना है।
देश और दुनिया का हाल जानने के लिए जुड़े रहे पंजाब केसरी के साथ।