उच्चतम न्यायालय ने इस बात पर अप्रसन्नता जतायी है कि रक्षा मंत्रालय ने उन पत्रों का जवाब देना भी सहीं नहीं समझा , जो उसे सीबीआई के एक विशेष जांच दल ( एसआईटी ) ने लिखे थे। एसआईटी सेना , असम राइफल्स एवं पुलिस द्वारा मणिपुर में की गयी कथित न्यायेत्तर हत्याओं एवं फर्जी मुठभेड़ की जांच कर रही है।
न्यायमूर्ति बी लोकुर और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने एसआईटी से इन मामलों में उसकी जांच को 30 जून तक पूरा करने को कहा है। ये मामले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग , न्यायिक जांच तथा गुवाहाटी उच्च न्यायालय के निष्कर्षों से संबंधित हैं।
अतिरिक्त सालीसिटर जनरल ( एएसजी ) मनिन्दर सिंह ने सीबीआई की तरफ से पेश होते हुए पीठ से कहा कि वह इस मुद्दे को रक्षा मंत्रालय के समक्ष उठाएंगे ताकि आवश्यक सहयोग सुनिश्चित किया जा सके।
पीठ ने अपने आदेश में कहा , ‘‘ हमने ( एसआईटी द्वारा दाखिल ) स्थिति रिपोर्ट संख्या पांच देखी जिसमें एसआईटी ने रक्षा मंत्रालयों को कुछ मामलों में फरवरी 2018 को पत्र लिखे थे। लेकिन रक्षा मंत्रालय ने इन पत्रों का जवाब तक देना गंवारा नहीं किया। ’’
न्यायालय ने कहा , ‘‘ एएसजी ने कहा कि वह इस मामले को रक्षा मंत्रालय के समक्ष उठाएंगे और सुनिश्चित करेंगे कि आवश्यक सहयोग प्रदान किया जाए। पत्रों का तत्परता से जवाब दिया जाए। हम उम्मीद करते हैं कि रक्षा मंत्रालय एसआईटी के साथ पूरी तरह सहयोग करेगा। ’’ पीठ ने मामले की सुनवाई दो जुलाई को सूचीबद्ध की है।
सिंह ने अदालत को बताया कि एसआईटी मणिपुर के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को दस्तावेजों की एक सूची सौंपेगी। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी सामग्री जांच दल को उपलब्ध हो जाएं या इस बात का स्पष्टीकरण दिया जाए कि कौन से दस्तावेज उपलब्ध नहीं होंगे।
शीर्ष न्यायालय ने एसआईटी के प्रभारी शरद अग्रवाल को यह निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर सूची तैयार करें। न्यायालय ने कहा कि उसे उम्मीद है कि पूर्वोत्तर राज्य के मुख्य सचिव एवं डीजीपी तीन सप्ताह के भीतर सकारात्मक रूप से जवाब देंगे।
न्यायालय एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें मणिपुर में न्यायेत्तर हत्याओं के 1528 मामलों की जांच करवाने का अनुरोध किया गया है। न्यायालय ने पिछले साल 14 जुलाई को एसआईटी गठित कर ऐसे मामले में प्राथमिकी जांच करवाने का निर्देश दिया था।
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