पटना : बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहकारी संघ लि. (कॉफ्फेड), के प्रबंध निदेशक सह फिश्कोफेड, नई दिल्ली के निदेशक ऋषिकेश कश्यप निषाद ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य सरकार 15 जून से 15 अगस्त, 2018 तक गंगा, गंडक एवं अन्य सदाबहार नदियों जो नि:शुल्क शिकारमाही हेतु घोषित है में मछली शिकारमाही पर रोक लगाई गई है जिससे राज्य के लाखो मछुआरे बेरोजगार हो गये हैं। इस बेरोजगारी से बचाने के लिए केन्द्र सरकार ने बिहार सरकार से मछुआरों के लिए राहत एवं बचत योजना लागु करने का आदेश दिया था। परन्तु इसको लागू नहीं किया गया जिससे राज्य के मछुआरे इस योजना के लाभ से वंचित हो गये हैं।
उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने यह नीति बनायी है कि जिन राज्यों की सरकारें अधिनियम के द्वारा मानसून में सदाबहार नदियों में मछली शिकारमाही पर प्रतिबंध लगाएगीए उन राज्य के मछुआरों को केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के द्वारा राहत दिया जाएगा। इस योजना के अन्र्तगत 33.3 प्रतिशत राशि 3000 रूपये मछुआरों को 33.3 प्रतिशत राशि 3000 रूपये केन्द्र सरकार एवं 33.3 प्रतिशत राशि 3000 रूपये राज्य सरकार को राहत कोष में जमा करने होते हैं। कुल 9000 रूपये राशि दो माह 15 जून से 15 जूलाई 4500 एवं 15 जूलाई से 15 अगस्त में 4500 सौ रूपये की दर से मछुआरों के बीच वितरण किया जाना है। इस योजना को लागू करने के लिए कृषि मंत्रालय, भारत सरकार ने 21 जुलाई, 2014 के द्वारा राज्य सरकार को आदेश दिया था।
इस अवसर पर उपस्थित कॉफ्फेड के निदेशक अजेन्द्र कुमारए नरेश कुमार सहनी एव कॉफ्फेड के पूर्व अध्यक्षए राकेश कुमार निषाद ने राज्य सरकार से मॉंग किया है कि मछुआरों के हित में केन्द्र प्रायोजित राहत एवं बचत योजना को यथाशीघ्र लागू किया जायए नि:शुल्क शिकारमाही परिचय पत्र निर्गत किया जायए प्रतिषेध के संबंध में दैनिक समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित किया जाए ताकि लाखों मछुआरों को इस योजना का लाभ मिल सकेंए अन्यथा 10 जुलाई, 2018 को विश्व मछुआरा दिवस के अवसर पर राज्य के मछुआरे आगे की रणनीति तैयार करेगें। जयशंकर, मिडिया प्रभारी उपस्थित थे।
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