बीजेपी ने आज विपक्षी नेशनल कांफ्रेंस पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 35ए के मुद्दे पर जम्मू के लोगों में भय पैदा करने की कोशिश कर रही है।
जम्मू & कश्मीर में PDP के साथ गठबंधन की सरकार चला रही बीजेपी ने आरोप लगाया कि राज्य में अल्पसंख्यकों की कीमत पर बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा देने के लिए नेशनल कांफ्रेंस जिम्मेदार है।
बीजेपी नेशनल कांफ्रेंस के जम्मू क्षेत्र के अध्यक्ष देविंदर राणा की ओर से अनुच्छेद 35ए के मुद्दे पर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया दे रही थी। उक्त अनुच्छेद जम्मू & कश्मीर में आवासीय नियमों को तय करता है और बाहरी लोगों को राज्य में अचल संपथि खरीदने एवं राज्य सरकार में नौकरियों के लिए आवेदन करने से रोकता है।
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता अनिल गुप्ता ने कहा कि हम इस बयान को गंभीरता से ले रहे हैं। उन्होंने उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 35ए को अवैध ठहराए जाने की स्थिति में जम्मू क्षेत्र के लोगों पर पडऩे वाले बुरे प्रभावों की भयावह तस्वीर उकेरने की कोशिश की है। वह डर पैदा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उनके बयान कि जम्मू पर कश्मीर से ज्यादा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि कोई भी वहां (कश्मीर में) जाकर बसना नहीं चाहेगा लेकिन जम्मू में बड़ी संख्या में लोग बसने आ जाएंगे- उनकी पार्टी की सोच को स्पष्ट तौर पर दिखाता है, जिसने हमेशा अलग करने की नीतियों की वकालत की है। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि यह जम्मू की जनता की मिलीजुली संस्कृति और सांप्रदायिक सहिष्णुता पर सीधा हमला है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले माह केंद्र से कहा था कि वह अनुच्छेद 35ए हटाने की मांग करने वाली एनजीओ की रिट याचिका पर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करे।
याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 के तहत गैर-निवासियों के साथ भेदभाव कर रही है। ये गैर-निवासी यहां संपथि नहीं खरीद सकते, स्थानीय चुनावों में वोट नहीं दे सकते और सरकारी नौकरी भी नहीं कर सकते।
गुप्ता ने कहा कि अनुच्छेद 35ए के भेदभावपूर्ण प्रावधानों की आड़ में राज्य में अल्पसंख्यकों की कीमत पर बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा देने की जिम्मेदार नेशनल कांफ्रेंस है। इससे जम्मू में जनसांख्यिकीय आधार पर घुसपैठ हुई है। गुप्ता ने पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों और रोहिंज्ञा शरणार्थियों को एक समान बताने पर भी नेकां के नेता की आलोचना की।
उन्होंने कहा कि यह तुलना न केवल भद्दी है बल्कि सभी तको से परे है। बीजेपी प्रवक्ता ने सवाल उठाया कि अगर नेशनल कांफ्रेंस का नेतृत्व अनुच्छेद 35ए के कानूनी तौर पर सही होने को लेकर इतने आश्वस्त हैं तो वे आंदोलन वाली राजनीति और कश्मीरियों को भड़काने वाला रास्ता क्यों अपना रहे हैं? उन्होंने कहा कि उन्हें भड़काने की बजाय अपना मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष रखना चाहिए।