श्योपुर: अभी तक जिला कलेक्टरों द्वारा तैयार रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर देती थी,लेकिन अब सिर्फ जिला कलेक्टर की रिपोर्ट ही मान्य नहीं होगी। इसके लिए तीन विभागों को रिपोर्ट तैयार करनी होगी,तब कहीं जाकर सरकार सूखा जैसी स्थिति को स्वीकारेगी। यूं तो श्योपुर जिले में इस साल सूखे के ही हालात हैं। हालांकि यह स्थिति श्योपुर में ही नहीं,बल्कि प्रदेश के 31 जिलों में है। ऐसे में सरकार ने जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए नई गाइड लाइन जारी की है।
इस गाइडलाइन के अनुकूल रिपोर्ट तैयार करने के बाद ही सरकार इस दिशा में कुछ फैसला लेगी। कम बारिश की मार झेल रहे प्रदेश के 31 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए कलेक्टरों द्वारा तैयार की जाने वाली रिपोर्ट की पुरानी पद्दति मान्य नहीं होगी। जिलों को सूखाग्रस्त तभी घोषित किया जाएगा,जब कलेक्टर केन्द्र सरकार द्वारा तय गाइड लाइनका पालन कर जिले से रिपोर्ट भेजेंगे। यही नहीं जिले से आई जानकारी को राज्य और केन्द्रस्तर की रिमोट सेसिंग रिपोर्ट से भी मैच किया जाएगा।
इसके बाद ही जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया जा सकेगा। सूत्र बताते हैं कि कलेक्टर 15 सितम्बर के बाद यह रिपोर्ट भेजेंगे, क्योंकिसरकार का मानना है कि बारिश का सीजन 15 सितम्बर तक रहता है। ऐसे में हो सकता है कि इस दौरान पानी पड़ जाए और पानी की पूर्ति हो जाए। उल्लेखनीय है कि ग्वालियर-चंबल संभागसहित विन्ध्य के कलेक्टरों ने अल्पवर्षा की स्थिति को देखते हुए बीते माह ही जिलों को सूखाग्रस्त करने का प्रस्ताव राज्य शासन को भेज दिया था, लेकिन सरकार ने इस प्रस्ताव को यह कहकर खारिज कर दिया था कि 15 सितम्बर तक बारिश का महीना रहता है, इसलिए इसके बाद ही तीन विभागों की रिपोर्ट के बाद ही प्रस्ताव भेजा जाए। लेकिन प्रस्ताव में केन्द्र सरकार द्वारा तय की गई गाइड लाइन का पालन जरूर करें।
सूत्रों का कहना है कि केन्द्र सरकार द्वारा सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए बनाई गई गाइड लाइन का जिलों को पालन करना आसान नहीं होगा। ऐसे में तय गाइड लाइन कई जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने में अड़चन बन सकती है। अभी तक जिले को सूखाग्रस्त घोषितकरने के लिए सिर्फ राजस्व विभाग अपने स्तर पर रिपोर्ट तैयार कर लेते थे,लेकिन अब इसमेंकृषि विभाग,जल संसाधन विभाग एवं राजस्व विभाग की रिपोर्ट लगेगी। ये विभाग फसलों के इंडेक्स,औसत से कम वर्षा, मैपकास्ट और मौसम विभाग की रिपोर्ट लेंगे।
जलाशयों का जल स्तर नापेंगे। इसके अलावा कई अन्य बिन्दुओं का अध्ययन करने के बाद ही कलेक्टर शासन को रिपोर्ट भेजेंगे। इसके बाद ही सरकार तय करेगी कि किस जिले को सूखाग्रस्त घोषित करना है और किसको नहीं। जिस हिसाब से श्योपुर जिले में बारिश हुई है,उससे न तो डेम भरे हैं और न ही ताल-तलैया। यही नहीं जिले में इतनी कम बारिश हुई है कि उड़द,सोयाबीन आदि फसलें खराब हो चुकी हैं।
धान पर भी गंभीर संकट बना हुआ है। जिन किसानों ने अगस्त माह में धान लगाया था,उस धान की ग्रोथ पूरी तरह रूक गई है। हालांकि जुलाई माह में लगाया गया धान फिलहाल ठीक स्थिति में नजर आ रहा है,लेकिन दिन-रात बोर चलने की वजह से वाटर लेबल जबरदस्त तरीके से नीचे चला गया है,जो कि गंभीर चिंता का विषय है।
भारत सरकार कृषि मंत्रालय द्वारा दिये गये निर्देशों के पालन में जिला स्तर पर सूखा पूर्वानुमान एवं मॉनीटरिंग हेतु कमेटी का गठन किया गया है। कलेक्टर पीएल सोलंकी की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में सीईओ जिला पंचायत, उपसंचालक कृषि, उपसंचालक पशु पालन, कार्यपालन यंत्री उर्जा विभाग, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग, परियोजना अधिकारी नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग, कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, प्रभारी अधिकारी भू-अभिलेख शाखा सदस्य के रूप में तथा राहत शाखा के प्रभारी अधिकारी सदस्य सचिव के रूप में शामिल रहेंगे।