गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सरकार की घेराबंदी करने की रणनीति के तहत एकजुट विपक्ष नोटबंदी की घोषणा का एक वर्ष पूरा होने के मौके पर 8 नवंबर को देशभर में ‘काला दिवस’ मनायेगा। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन और जनता दल यू के बागी नेता शरद यादव के साथ आज यहां संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में गठित 18 विपक्षी दलों की समन्वय समिति की कल यहां हुई पहली बैठक में यह फैसला किया गया।
बैठक के बाद 12 उन अन्य दलों से भी बातचीत की गयी जिनके प्रतिनिधि इस छह सदस्यीय समिति में नहीं हैं। आजाद ने कहा कि नोटबंदी का विरोध करने के लिए सभी विपक्षी दल अपने -अपने तरीके से कार्यक्रम बनायेंगे और अपने -अपने स्तर पर इसकी घोषणा करेंगे। इस दौरान धरना-प्रदर्शन, जुलूस और जन-जागरूकता जैसे कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे तथा नोटबंदी पर नये तथ्यों को उजागर किया जाएगा।
ब्रायन ने नोटबंदी को आधुनिक भारत का सबसे बड़ घोटाला करार देते हुए कहा कि उनकी पार्टी की प्रमुख ममता बनर्जी ने इसे लेकर कई सवाल उठाये लेकिन आज तक उनका जवाब नहीं मिला। तृणमूल नेता ने कहा कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र से पहले समन्वय समिति की एक बार फिर बैठक होगी।
आजाद ने कहा कि सरकार ने नोटबंदी को ‘गरीब बनाम अमीर’ के रूप में पेश किया था और जनता से उस पर विश्वास कर लिया था लेकिन अब वह सब कुछ समझ गयी है। पूरा देश लाइन में लगा था और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। नोटबंदी की मार सबको झेलनी पड़। पिछले 70 वर्षों में खड़ की गयी मजबूत अर्थव्यवस्था की इमारत को इस एक फैसले ने ध्वस्त कर दिया। इससे करोड़ लोगों का रोजगार छिन गया और छोटे एवं मंझोले उद्योग -धंधे चौपट हो गये।
उन्होंने कहा कि यह विश्व का पहला ऐसा फैसला था जिसमें किसी प्रधानमंत्री की घोषणा के एक माह के भीतर उसमें 135 संशोधन करने पड़ थे और इसके कारण 100 से ज्यादा जानें गयीं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि इससे कालाधन वापस आयेगा और जाली नोट तथा आतंकवाद पर लगाम लगेगी लेकिन सचाई यह थी कि प्रचलन से बाहर किये गये 1000 और 500 के पुराने नोट बैंकों में वापस आ गया। आतंकवादियों के पास से दो दिन बाद ही नये नोट बरामद किये गये।