नयी दिल्ली : कांग्रेस ने कृषि क्षेत्र एवं किसानों की दुर्दशा के बारे में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा जतायी गयी चिंता का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कहा कि यदि ‘‘वह संघ प्रमुख की ही बात मान लेते तो बेहतर होता।’’ भागवत ने बिहार के दरभंगा में आज एक कार्यक्रम के दौरान देश के किसानों की हालत चिंताजनक बताते हुए कहा कि देश की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिये किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारनी जरुरी है। इसके लिए कृषि के साथ गोपालन एवं जैविक खेती को साथ लेकर काम करने की जरुरत है। भागवत के इस बयान पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर कांग्रेस के प्रवक्ता आरपीएन सिंह ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ उन्हीं की सलाह प्रधानमंत्री जी अगर ले लेते तो बेहतर होता।’’ कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि हम तो साढ़े तीन साल से कह रहे हैं कि किसानों की हालत बहुत खराब है। नौकरियों की हालत बहुत खराब हैं। पूरा देश कह रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ अगर पूरे देश की बात मोदीजी नहीं मान रहे हैं, (तो)कम से कम आर.एस.एस प्रमुख जो कह रहे हैं, उनकी बात पर ही कुछ काम करते तो बेहतर होता।’’ प्रधानमंत्री द्वारा दावोस में विश्व आर्थिक मंच की शिखर बैठक में दिये गये संबोधन के बारे में पूछे गये एक अन्य प्रश्न के जवाब में कांग्रेस नेता ने कहा कि ‘‘उन्होंने दावोस में भाषण दिया है, उस पर हम टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री विदेश जाकर बताते हैं कि हिन्दुस्तान कितना खुशहाल है, वही बात वह देश के किसानों के सामने जाकर भी कहें कि केन्द्र के भाजपा के साढ़े तीन साल के शासन में देश कितना खुशहाल हुआ है। ‘‘हमारे बेरोजगार नौजवानों के सामने जाकर (प्रधानमंत्री) भाषण देते कि हमने सारे नौजवानों को दो करोड़ से ज्यादा नौकरियाँ हर वर्ष दी हैं। ये बातें (वह) भारत के लोगों के बीच में क्यों नहीं कहते हैं?’’
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के बारे में पूरी दुनिया को मालूम है कि चार साल में सबसे कम विकास इस वर्ष हुआ है। 13 वर्ष में सबसे कम निवेश अगर कभी हुआ है, तो वो इस वर्ष हुआ है। मुद्रास्फीति 15 महीनों के उच्चतम स्तर पर है। लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के पीछे कई व्यावहारिक समस्याओं के बारे में नए चुनाव आयुक्त ओ.पी.रावत के बयान पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इसे एक मुद्दा बनाया है कि सारे चुनाव एक साथ होने चाहिये। उन्होंने कहा कि अभी हाल में ही हमने देखा कि गुजरात में चुनाव और हिमाचल प्रदेश में एक दिन में तारीख दे नहीं पाए। तो ये चुनाव पूरे देश में एकसाथ करवाने की कैसे कल्पना कर सकते हैं।
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