लुधियाना : 1984 में आप्रेशन ब्लू स्टार के दौरान धार्मिक भावनाओं से प्रेरित गुससे में आकर सेना ने जिन 375 सिखों को हिरासत में लिया था, उन सिखों की रिहाई होने के बाद मुआवजे के लिए अमृतसर की अदालत में 224 केस दर्ज किए थे। आपेशन ब्लू स्टार के दौरान गिरफतार किए गए सिखों को राजस्थान की जेल में बंद किया गया था। इस दौरान उनपर विस्फोटक सामग्री और गैर कानूनी हथियार के अंतर्गत मामला दर्ज हुआ था।
14 जृन 1984 को यह मामला सीबीआई को दिया गया था और मार्च 1989 से लेकर 1991 के दौरान सभी सिखों को रिहा कर दिया गया था। अदालत में दायर किए गए मामले के दौरान सिखों ने कहा था कि उन्हें गलत तरीके के साथ तशदद किए गए थे। इन मामलों में अधिकांश सिख इंसाफ का इंतजार करते हुए दुनिया से चल बसे। इसके बाद बचे 40 सिख पीडि़तों ने अमृतसर की अदालत में केस किया था और अदालत ने अप्रैल माह में फैसला पीडि़त सिखों के पक्ष में दिया था। अदालत ने प्रत्येक सिख को 4-4 लाख रूपए का मुआवजा और 6 फीसदी बयाज की दर से केंद्र ओर सूबा सरकार को अदा करने के लिए कहा था। जोकि कुल राशि करोड़ों रूपए की बनती है।
जानकारी के मुताबिक राज्य की कैप्टन सरकार यह मुआवजा रकम देने के लिए तैयार है परंतु केंद्र सरकार ने अदालत के फैसले के विरूद्ध पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पाटीशन डाल दी है। सीबीआई ने पटीशन में कहा है कि इस मामले में फैसला सुनाने का अमृतसर की अदालत का कोई अधिकार क्षेत्र ही नहीं बनता।
सीबीआई ने कहा जो कार्यवाही की गई थी, वह स्थानीय प्रशासन की सहमति के साथ प्रशासन के कहने पर ही हुई थी। आज पंजाब की कैप्टन सराकर ने केंद्र सरकार को जोधुपर जेल के नजरबंदो को मुआवजा देने विरूद्ध अपील वापिस लेने की मंाग की है। कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार को 4.5 करोड़ रूपए के मुआवजे की आधी राशि का भुगतान बिना किसी देरी से करने की अपील की है।
– सुनीलराय कामरेड
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