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ढंडरिया वाले का अमृतसर दीवान रदद, सडक़ों पर उतरी संगत

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लुधियाना : गुरूद्वारा साहिब परमेश्वर द्वार से सिक्खी का प्रवाह चलाने से संगत को सहज पाठ करवाने के लिए खुद-ब-खुद तैयार करने वाले डेरे के प्रमुख सेवादार भाई रणजीत सिंह खालसा ढंडरिया वाले ने गुरू की नगरी अमृतसर में होने वाले 14-16 नवंबर तक तीन दिवसीय गुरमति समागम रदद करने की घोषणा की तो सिख संगत सडक़ों पर उतर आई और सतनाम वाहेगुरू का जाप करते हुए हाथों में तख्तियां थामे शांतमयी ढंग से विरोध प्रदर्शन किया। दरअसल दमदमी टकसाल और कुछ गर्म दलीय सिख जत्थेबंदियों के विरोध को देखते हुए ढंढरिया वाले ने स्वयं ही अमृतसर के दीवान को रदद किया है। उन्होंने यह कार्यक्रम मुलतवी करते हुए कहा कि वह सजने वाले गुरमति दीवान के दौरान कहीं सिखों में कोई बखेडा न हो जाए, और उसी भावनाओं के मद्देनजर किसी सिख को ठेस न पहुंचे।

इसी लिए समस्त कार्यक्रम को अनिश्चिकाल के लिए मुलतवी किया जाता है। ढंडरिया वाले ने बताया कि अमृतसर की सिख संगत लगातार प्रचार सुन रही थी और संगत ने बढ-चढ कर प्रचार भी किया। उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय समागम के लिए उन्होंने जिला प्रशासन व पुलिस से हर प्रकार की मंजूरी ले रखी थी। उन्होंने यह कहा कि गुरू की नगरी अमृतसर में नशों का बहुतात है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम को रोकने के इरादे से कुछ पंथ विरोधी शक्तियों ने प्रशासन समेत श्री अकाल तखत साहिब के जत्थेदारों को विरोध पत्र भी सौंपा है। इसी कारण वह अपने गुरमति समागम को रोक रहे है। उन्होंने कहा कि वह सिखों को गुरबाणी से जोडऩे की चेष्टा कर रहे है। अखंड पाठ की बजाए सहज पाठ की प्रक्रिया को आरंभ कर रहे है। किंतु कुछ लोग अखंड पाठ के बहाने बाणी को बेचते है, उन्हें महसूस हो रहा है कि अगर ढंढरिया वाले ने यहां आकर समागम करवा दिया तो उन लोगों की दुकानदारी बंद हो जाएंगी।

उन्होंने कहा अगर सिख पंथ के लोग उसे रोकने की बजाये नशों के खिलाफ आवाज बुलंद करते और सिख धर्म प्रचार के लिए जोर लगाते तो आज अमृतसर में नशों का बोलबाला न होता। उन्होंने सवाल किया कि जब सच्चा सौदा के साध गुरमीत राम रहीम को माफी दी गई थी तो उस दिन उक्त सिख संगठनों ने विरोधता क्यों नहीं की। उन्होंने कहा कि एक ओर प्रशासन तीन हजार पुलिस मुलाजिमों की ड्यूटी लगाकर धार्मिक कार्यक्रम करवाने को तैयार है परंतु ही सिख ही सिख का विरोध कर रहे है। उन्होंने दोष लगाया कि श्री अकाल तखत के जत्थेदार द्वारा पांच सदस्यीय कमेटी बनाने की बजाये उन्हें मंजूरी देनी चाहिए थी।

उन्होंने बताया कि अमृतसर में होने वाले दीवान के होने के मद़देजर समस्त सिख संगत में भारी उत्साह है। उन्होंने कहा कि कोई भी प्रचारक कोई भी कहीं भी प्रचार कर सकता है। किसी को रोकने का कोई अधिकार नहंी । उन्होंने कहा कि गुरमति समागम को रद करने का फैसला, गुरू की नगरी का माहौल खराब न हो,ख् इसलिए लिया गया है। लेकिन बाकी जगह पर सजने वाले दीवान पूर्व की भांति लगते रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि तथाकथित बाबाओं का आज कोई भी प्रचार सुनने के लिए तैयार नहंी। दूसरी तरफ, गुरमति समागम मुलवती होने पर सिविल व पुलिस प्रशासन ने सुख की सांस ली। जबकि रणजीत सिंह ढंडरिया वाले ने सवाल किया है कि उसे बताया तो जाये कि उन्होंने कौन सी बुरी बात की है।

उल्लेखनीय है कि इस समागम को रूकवाने के लिए दमदमी टकसाल मेहता, शिरोमणि कमेटी, शिरोमणि अकाली दल व कुछ अन्य सिख संगठन एडी चोटी का जोर लगा रहे थे और श्री अकाल तखत साहब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह समेत जिला डिप्टी कमिश् नर व पुलिस को मांग पत्र सौंपे गए थे। उपरोक्त संगठनों ने चेतावनी देते हएु कहा था कि अगर यह दीवान रद न हुए तो 1978 का निंरकारी कांड दोहराया जा सकता है। इस दौरान एसजीपीसी प्रधान प्रो. किरपाल सिंह बंडूगर को अकाल तखत ने एक कमेटी गठित करने का आदेश दिया था। अब ढंडरिया वाले का समागम रद करवाने में कामयाब उपरोक्त दलों के नेता बागोबाग है। इस संबंधी प्रो. सरचांद सिंह पूर्व प्रधान सिख स्टूडेंट ने सबसे पहले आगे बढकर झंडा बुलंद किया था। ढंडरिया वाले ने सिख संगत व प्रबंधकों से माफॅी मांगते हुए कहा कि वह ऐसा कोई भी कार्यक्रम नहीं करना चाहते जिससे हालात हिंसक हो। उन्होने कहा कि नकली नेता व बाबे संगत की आड में लूट रहे है। उन्होंने जत्थेदारों को कहा कि आप रहित मर्यादा की बात करते हो तो क्या यह बाबे रहित मर्यादा को मानते है।

– सुनीलराय कामरेड

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