सिख कट्टरपंथियों द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार के 33 साल पूरे होने पर यहां स्वर्ण मंदिर परिसर में खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए गए। स्वर्ण मंदिर में छुपे सशस्त्र आतंकवादियों के सफाए के लिए वर्ष 1984 में चलाए गए सैन्य अभियान के 33 साल पूरे होने पर कट्टरपंथी सिख संगठन ‘दल खालसा’ की अपील पर पवित्र शहर में बंद भी रहा। कानून-व्यवस्था को बाधित करने की हर संभावित कोशिश को नाकाम करने के लिए एसजीपीसी के कार्य बल के साथ सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया। आज सुबह स्थिति उस वक्त तनावपूर्ण हो गई जब श्री अकाल तख्त साहिब के मौजूदा जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह कौम के नाम संदेश पढऩे के लिए खड़े हुए। इसका विरोध प्रकट करते हुए गर्मख्याली जत्थेबंदियों से संबंधित संगत आगे बढ़कर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हुए समागम से उठकर बाहर आ गए।
भारी सुरक्षा प्रबंधों के अधीन शहीदों की याद को समर्पित मनाए जा रहे घल्लूघारा दिवस पर उस वक्त जमकर शोर-शराबा भी हुआ, इसी बीच श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कौम के नाम अपना पहले से ही लिखा हुआ हस्तलिखित संदेश देने के लिए उपस्थित संगत को संबोधित करने लगे। श्री अकाल तख्त साहिब पर सुबह-सवेरे साढ़े तीन बजे से बैठी संगत समेत पंथक आगुओं ने संदेश पढऩे का विरोध प्रकट किया जो जयकारों का घोष करते हुए अधिकांश लोग उठकर बाहर आ गए। उधर एसजीपीसी के टास्क फोर्स के सदस्यों की विरोधता के बावजूद 10 नवंबर 2015 में तरनतारन स्थित चब्बे की पावन धरती पर चुने गए सरबत खालसा के जत्थेदारों ने पहली बार श्री अकाल तख्त साहिब के सामने देहरी के नीचे खड़े होकर सिख कौम के नाम संदेश पढ़ा।
इसके अतिरिक्त श्री अकाल तख्त साहिब के मौजूदा जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने भी घटित घटनाक्रम के बीच बंद दरवाजे में कौम के नाम अपनों के बीच संदेश सुनाया। सरबत खालसा द्वारा श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारिणी जत्थेदार भाई ध्यान सिंह मंड, श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार भाई बलजीत सिंह दादूवाल और तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार भाई अमरीक सिंह अजनाला समेत अकाली दल अमृतसर के प्रधान सिमरनजीत सिंह मान ने संगत को तख्त साहिब के परिसर के नीचे खड़े होकर संबोधित किया और भाई ध्यान सिंह मंड ने भी कौम के नाम संदेश पढ़ा। खालिस्तानी नारों और शोर-शराबे के दौरान भाई ध्यान सिंह मंड ने 84 के शहीदों को श्रद्धा के फूल भेंट करते हुए, फतेह के उपरांत पंथ को काले दिनों की याद दिलाते हुए भारतीय हुकूमत द्वारा सिखों के साथ घटित घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि 33 साल पहले सिख प्रभुसत्ता के केंद्र श्री अकाल तख्त साहिब का मटियामेट और सच्चखंड श्री हरिमंदिर साहिब को गोलियों से छलनी किया गया था।
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय हुकूमत द्वारा सिख रैफरैस लाइब्रेरी का कीमती खजाना लूट लिया गया और आज तक सिखों को इसका इंसाफ नहीं मिला। इस हमले के लिए जहां कांग्रेस, भाजपा और कामरेड पार्टियों को दोषी करार देते हुए तथाकथित सिख लीडरशिप को भी बराबर का जिम्मेदार माना, वहीं दमदमी टकसाल के 20वीं सदी के 14वें प्रमुख जरनैल सिंह खालसा, भिंडरावाला समेत उनके साथी भाई अमरीक सिंह, जरनल शवेद सिंह और बाबा ठारा सिंह जैसे योद्धाओं को पंथ की आन-शान बहाल रखने के लिए शहादत का जाम पीने वाली शख्सियतें करार दिया। भाई ध्यान सिंह मंड ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार भाई जगतार सिंह हवारा की तुरंत रिहाई और संघर्ष की जरूरत बताया जबकि श्री अकाल तख्त साहिब के सिंह साहिबान ज्ञानी गुरबचन सिंह ने 1984 के सिख शहीदों को याद करते हुए तत्कालीन केंद्र सरकार और भारतीय फौज द्वारा किए गए हमले के दौरान मारे गए निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि दी।
श्री अखंड पाठ साहिब के भोग के उपरांत हरिमंदिर साहिब के हुजूरी रागी, भाई राय सिंह के रागी जत्थे द्वारा गुरबानी कीर्तन किया गया तो अरदास श्री अकाल तख्त साहिब के हैड ग्रंथी भाई मलकीत सिंह ने की और पावन हुकमनामा सच्चखंड श्री हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी सिंह साहिब ज्ञानी जगतार सिंह ने लिया। इस अवसर पर अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कौम के नाम पढ़े गए संदेश में तत्कालीन केंद्र सरकार को जालिम करार देते हुए अतिनिंदनीय करार दिया वहीं उन्होंने कौमी एकजुटता के साथ वर्तमान चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए आह्वान किया। उन्होंने तत्कालीन सरकार को दोषी करार देते हुए कहा कि इससे ज्यादा दुख की बात क्या हो सकती है कि अपने ही देश की सरकार द्वारा अपने ही फौजियों की ताकत के बलबूते पर सिखों के धार्मिक स्थल को टैंकों, तोपों और गोले बारूद का निशाना बनाकर निर्दोष संगत को शहीद कर दिया गया। उन्होंने इस हमले को सिखों के खिलाफ रची गई साजिश करार देते हुए जालिम करार दिया।
उन्होंने कहा कि कभी मुस्लिम सरकार, कभी अंग्रेज और हिंदुस्तान की सरकार ने समय-समय पर सिखों को दबाने का यत्न किया है परंतु गुरु साहेबान के मिशन के अनुसार सिखों ने हमेशा जबरी ताकत का मुकाबला सहनशीलता के साथ सिख कौम के लिए चढ़दी कलां के लिए किया है। उन्होंने समूचे सिख जगत को पंथक समस्याओं और वर्तमान चुनौतियों के लिए एकजुट होकर मुकाबला करने को कहा। इस शहीदी समागम में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह, तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान प्रो. कृपाल सिंह बडूंगर, दमदमी टकसाल के मुखी बाबा हरनाम सिंह खालसा, शिरोमणि पंथ अकाली दल के प्रमुख बाबा बलबीर सिंह, तरुणा दल के प्रमुख बाबा निहाल सिंह हरियावेला, संत जरनैल सिंह खालसा भिंडरावाले के पुत्र भाई ईश्वर सिंह, शहीद भाई अमरीक सिंह की पत्नी बीबी हरप्रीत कौर, सुपुत्री बीबी सतवंत कौर के भाई मंजीत सिंह समेत शहीद परिवारों के सदस्य और अलग-अलग जत्थेबंदियों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस मौके पर जबरदस्त नारेबाजी होती रही। आखिर अमन-अमान के साथ घल्लूघारा दिवस समागम समाप्त हो गया।
– सुनीलराय कामरेड