लुधियाना-मोगा : पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की सेना द्वारा की गई गोलीबारी के दौरान जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले स्थित नौशहरा सेक्टर में बीते दिनों शहीद होने वाले पंजाब के जवान जसप्रीत सिंह की मृतक देह उनके पैतृक गांव मोगा स्थित तलवंडी मलियां पहुंची तो उपस्थित कई दर्जनों गांवों के लोगों ने भारत मां की जयघोष के साथ-साथ पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए गांव के शहीद को सलाम किया। शहीद की मृत देह ने जब गांव की दहलीज लांघी तो परिवारिक सदस्यों और गांववासियों की अश्रुपूर्ण धाराओं और चितकारों से गांव का आसमां गूंज उठा। मृतक की बहनें जोर-जोर कर अपने वीरे को पुकार रही थी कि उठ वीरे इक वारी उठ जा ङ्क्षकतु उनकी आवाज और चितकार हमेशा के लिए अलविदा कह चुके जसप्रीत अब उनके बीच नहीं था।
इस अवसर पर पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ मोगा जिले के तीनों विधायकों समेत जिले के डिप्टी कमीश्रर, एसएसपी अन्य इलाके की शख्सियतों और आम लोगों ने बड़ी संख्या में शहीद को नमन किया। उल्लेखनीय है कि धर्मकोट तहसील के गांव मलियां की मिटटी में पढ़-बढ़कर बड़े हुए 24 वर्षीय जसप्रीत सिंह ने दुश्मन की दो गोलियां छाती पर खाकर शहादत के जाम को पिया था। इस कुर्बानी से पहले उसने तीन स्कूलों के 217 के करीब बच्चे और 15 टीचरों की बुलेटप्रूफ गाडिय़ों को दुश्मनों के विरूद्ध कवरिंग फायर देते हुए सकुशल निकलवाया था। पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा कि पंजाब सरकार शहीद जसप्रीत के वारिसों को 10 लाख रूपए के अलावा एक नजदीकी वारिस को पुलिस में नौकरी दी जाएंगी।
जसप्रीत सिंह की मृतक देह उनके पैतृक गांव तलवंडी मलियां पहुंची तो उनकी मृत देह का सजल आंखों से और सरकारी सम्मान के साथ अंतिम संस्कार आज देर शाम कर दिया गया। जसप्रीत सिंह के साथ खेलकूद कर बड़ा होनेे वाले उसके जिगरी दोस्त परमजीत सिंह ने अपनी नम हो रही आंखों को पौछते हुए बताया कि उसका फौजी यार 9 महीने आया था, उस वक्त उसकी बड़ी बहन परविंद्र कौर की दिसम्बर में शादी थी। उसके बाद वह सीमा पर लगातार डयूटी दे रहा था। आर्थिक तौर पर कमजोर परिवार में जन्म लेने वाले शहीद जसप्रीत सिंह ने उस वक्त अपनी बहन की शादी के लिए जान पहचान वालों से करीब डेढ़ लाख रूपए का कर्ज लिया था।
जसप्रीत के पिता सर्वण सिंह दिहाड़ीदार राजमिस्त्री के तौर पर काम करते है। उन्होंने उस वक्त चिंता प्रकट करते हुए अपने होनहार बेटे से कहा भी था कि इतना कर्ज कैसे उतारोंगे? तो जसप्रीत ने अपने पिता के कंधों को अलंगन में लेते हुए बड़े फक्र से कहा था, कि यह कर्ज मैंने उठाया है और इसका भुगतान भी मैं ही करूंगा। उस वक्त जसप्रीत की मां हरजिंद्र कौर ने भी अपने जिगर के लाल के माथे को चूमते हुए जुग-जुग जीने की दुआएं दी थी। सर्वण सिंह के मुताबिक उस वक्त उसके बेटे जसप्रीत सिंह ने कहा भी था कि अपनी जिंदगी में मैंने दो कर्ज उतारने है पहला- अपने परिवार का कर्ज, जिसकी चिंता ना की जाएं जबकि दूसरा कर्ज- मातृभूमि भारत मां का, जिसकी जमीं पर मैं खेलकूद कर बड़ा हुआ हूं। परिवारिक सदस्यों ने नम हो रही आंखों में बहती गंगा-जमुना की धाराओं को पौंछते हुए यह भी कहा कि जसप्रीत ने अपने वायदे के अनुसार समय-समय पर घर में पैसे भेजे लेकिन अब 9 महीने बाद आज उसकी वीर का शव तिरंगे में लिपटा पहुंचा है।
160 के करीब बच्चों और अध्यापकों को सुरक्षित पहुंचाकर शहादत देने वाले वीर को हर गांववासी सलाम कर रहा था, क्योंकि जसप्रीत ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए दुश्मन की गोलियों को सीने में झेला था और भारत मां का कर्ज भी उतारा। जानकारी के मुताबिक जसप्रीत के घर में उसकी बड़ी शादीशुदा बहन परविंद्र कौर के अलावा सातवी कक्षा में पढऩे वाली एक छोटी बहन वीरपाल और दो भाई कुलदीप और गोपी भी है, जो सभी सदमें में है। इसके अतिरिक्त बूढ़े मां-बाप जिसकी लाठी टूट चुकी है। भाई कुलदीप ने सिसकते हुए कहा कि उसके भाई के अंदर देश के लिए कुछ करने का जज्बा बचपन से ही था। रामगढिय़ा परिवार में जन्म लेने के बाद हालांकि वह कारिगरी में माहिर था किंतु उसने खानदानी पेशे में लेने की बजाए सरहदों में जाकर भारत मां की रक्षा करने की जिम्मेदारी उठाई और साढ़े चार साल पहले 20 बरस की कम आयु में ही जसप्रीत ने भारतीय सेना की 8 सिखलाई रेजीमेंट में सेना के तौर पर भर्ती हुआ। अपने जिगर के लाल को याद करते हुए जसप्रीत की मां हरिंद्र कौर ने एक सप्ताह पहले हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि उसके लाल ने कहा था कि वह राखी तक छुटटी लेकर गांव पहुंचेंगा किंतु उन्हें क्या मालूम था कि राखी से पहले उसकी शहादत की खबर पहुंचेंगी।
जसप्रीत सिंह के शहीद होने पर लोगों में पाकिस्तान के विरूद्ध भारी गुस्सा देखने को मिल रहा है। शहीद के पारिवारिक सदस्य भले ही उसे याद करके बिलख रहे है किंतु अन्य की भांति उन्हें भी जसप्रीत की शहादत पर फक्र महसूस है। उसकी ऐसी भावना को सुनकर हर शख्स की आंखें नम हो गई जबकि जसप्रीत के पिता सर्वण सिंह ने कहा कि पाकिस्तान लुक-छुपकर वार पर वार किए जा रहा है जबकि मोदी सरकार को चाहिए कि अब सीधा जंग के मैदान में जवाब दिया जाएं। जससप्रीत की मा का भी अपने बेटे की याद में रो-रोकर बुरा हाल है और वह बार-बार सजल आंखों से बेटे की तस्वीर को निहारती है।
आज जसप्रीत की मृतक देह जब पैतृक गांव में पहुंची तो सबसे पहले सेना के जवानों ने उसकी मृत देह को उसके घर-आंगन में लाया गया, उसके बाद अरदास करते ही बाजार से होती हुई शमशान घाट पहुंची। इस शव यात्रा में अंसख्य लोगों ने हिस्सा लिया। भीड़ का सैलाब विशेषकर नौजवानों ने भारत माता के नारें लगाते हुए गांव के शहीद को सच्ची श्रद्धांजलि दी। पार्थिक देह के अंतिम दर्शनों के लिए आसपास के दर्जनों गांवों के लोग उमड़ पड़े। परिजनों के आंखों में आंसू भी दिखे लेकिन गर्व से सीना चौड़ा भी था।
– सुनीलराय कामरेड