लुधियाना : स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लेकर लागू करवाने के लिए दूसरे दिन भी पंजाब के धरती पुत्र कहे जाने वाले मेहनतकश किसान और दिहाडीदार मजदूर तारकोल की कंक्रीट वाली काली सडकों और शहरों की गलियों में छोटे-छोटे समूहों में मोर्चा बंदी करते दिखाई दिए। आज संगरूर, धूरी और जालंधर में भी आंदोलन की आड़ में शरारती तत्वों ने गुंडागर्दी का सरेआम नाच खेला। संगरूर में वेरका मिल्क प्लांट वैन के ऊपर प्रदर्शन के नाम पर सारा दूध सडक़ों पर पलटकर नष्ट कर दिया गया जबकि धूरी में एक कारोबारी हलवाई की दुकान के अंदर घुसकर आंदोलनकारियों ने जबरदस्ती घुसकर सारा दूध उलट दिया और दुकान पर तोडफ़ोड़ की। इस दौरान दुकान के मालिक और कारीगरों से बदसलूकी की गई। उपरोक्त समस्त गुंडागर्दी की कार्यवाही मौके पर मौजूद सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई है और पुलिस ने पीडि़त दुकानदार को कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है। मोके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि इस प्रकार की गुंडागर्दी बरदाश्त नहीं की जाएंगी। धूरी के व्यापार मंडल के सदस्यों ने इस गुंडागर्दी की निंदा की है और पुलिस प्रशासन को चेतावनी देते हुए कार्यवाही करने का भरोसा लिया है।
लुधियाना के नजदीक माछीवाडा व राहों रोड स्थित किसानों ने रोड जाम करते हुए अपना दम खम दिखाया। रौष प्रर्दशनों के ऐसे ही नजारे भारत पाकिस्तान सरहद पर बसे शहर फाजिल्का, फिरोजपुर, तरनतारन, अजनाला और मजीठा में भी थे। आज एक बार फिर पंजाब के इलाके दोआबा व मालवा में किसान आंदोलनों का प्रभाव दिखाई दिया। जबकि इसका असर माझा में कम ही दिखा। बरनाला, संगरूर, फरीदकोट, अबोहर व जालंधर समेत कई स्थानों से विरोध प्रदर्शनों की खबरें हासिल हुई है। पटियाला के नजदीक भवानीगढ़ में भी दूध की सप्लाई शहर को भेजे जाने पर किसानों द्वारा भारी मात्रा में दूध सडक़ों पर ही उलट दिया गया। जानकारी के मुताबिक 4 दूध फारमर मिल्क प्लांट में दूध डालने जा रहे थे तो गांव कांकड़ा में किसानस यूनियन एकता सिद्धूपुर के आगुओं ने उनको दूध ले जाने के लिए रोका तो गुस्से में आएं दूध फारमरों ने 12 क्विंटल के करीब दूध सडक़ पर ही फेंक दिया।
भारतीय किसान यूनियन लक्खोवाल के नेता हरजिंदर ङ्क्षसह लक्खोवाल ने शनिवार को लुधियाना के नजदीक सैंकडों की संखया में किसानों का साथ लेकर राहों रोड पर केंद्र सरकार के खिलाफ रौष प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की। हरजिंदर सिंह लक्खोवाल के अनुसार पंजाब के किसानों ने दस दिनों तक अपने हाथो से पैदा की हुई समस्त सब्जियां, फल व डेयरी उत्पादों को शहरों में न लेकर जाने का फैसला किया है।
स्मरण रहे कि राष्ट्रीय किसान महासंघ के 130 से अधिक किसान संगठनों ने एकजुट होकर देश के अंदर बडे महानगरों व शहरों में खाद्य पदार्थों की सप्लाई न करने की घोषणा करके केंद्र सरकार के खिलाफ संघर्ष का बिगुल बजाया है। इसी बीच आज दूसरे दिन भी किसानों ने ग्रामीण इलाकों से शहरों को जाने वाली दूध सप्लाई रोकने का काफी प्रयास किया। हालांकि उन्हें इस प्रयास में अधिक सफलता नहीं मिली। लेकिन फल व सब्जियों के रेट पूर्व दिनों की अपेक्षा दौगुणे व तिगुणे होने की सूचना है। ग्रामीण इलाकों में किसानों ने सडकों पर ही ताजे फलों व सब्जियों को सडक़ों पर फैंक कर अपने गुस्से का इजहार किया।
– सुनीलराय कामरेड
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