लुधियाना : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री स. बेअंत सिंह के कत्ल के संबंध में फांसी का सामना कर रहे आतंकी भाई बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा को उम्र कैद में तबदील करने के लिए सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा की गई अपील पर जल्द फैसला लिया जाने के लिए एसजीपीसी राष्ट्रपति के पास अप्रोच करेंगी ताकि भाई राजोआना को हुई फांसी की सजा को लेकर डाली गई अपील पर फैसला जल्द आ सकें। यह प्रकटावा एसजीपीसी के प्रधान भाई गोबिंद सिंह लौंगोवाल ने अजनाला के गांव मुहारा में समारोह के बाद पत्रकारों को कहा।
स्मरण रहे कि कुछ दिन पहले सजायाफता भाई बलवंत सिंह राजोआना ने शिरोमणि कमेटी प्रधान गोबिंद सिंह लौंगोवाल को केंद्रीय जेल पटियाला से एक पत्र भेजा है, जिसके तहत राजोआना ने कहा है, कि ‘उसकी फांसी की सजा से संबंधित अपील जो शिरोमणि कमेटी द्वारा पिछले साल दाखिल की गई थी, इसलिए इस अपील पर फैसला करवाने की जिम्मेदारी शिरोमणि कमेटी की है। इसलिए केंद्रीय गृह मंत्रालय तक अप्रोच करके इस अपील पर फैसला किया जाएं क्योंकि जेल में मेरा 23वां वर्ष शुरू हो गया है। पिछले 11 सालों से मैं फांसी की चक्की में बंद हूं और मैं उम्मीद करता हूं कि शिरोमणि कमेटी इन हालात को महसूस करके इस अपील पर फैसला लेने के लिए यत्न करेंगी। ’
उन्होंने यह भी लिखा था कि मैं कहना चाहता हूं कि जो शिरोमणि कमेटी और शिरोमणि अकाली दल यह महसूस करते है, कि मार्च 2012 में अपील दायर करके कोई गलती हो गई है तो कृपा करके तुरंत ही उस अपील को वापिस लिया जाएं। अगर शिरोमणि कमेटी ने 28 मार्च 2018 तक इस अपील पर फैसला लेने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय और देश के राष्ट्रपति तक अप्रोच ना की तो मजबूरी मुझे यह सारा केस खालसा पंथ की कचहरी में ले जाना पड़ेगा और इस अपील को वापिस करवाने के लिए 28 मार्च 2018 के बाद किसी भी समय मुझे भूख हड़ताल पुन: शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा और इसकी समस्त जिम्मेदारी शिरोमणि कमेटी पर होंगी।
एक चिटठी के जरिए पहले भी राजोआना ने लिखा था कि मार्च 2012 को चंडीगढ़ की सेशन कोर्ट ने उनके डैथ वारंट जारी करके उन्हें 31 मार्च 2012 को फांसी पर लटकाने के आदेश जारी किए थे। उस वक्त उन्होंने यह कहकर सजा के विरूद्ध कोई भी अपील से इंकार कर दिया था कि देश के जिन हुकमरानों ने सिख धर्म पर टैंको और तोपों से हमला करके अकाल तख्त तहस-नहस किया है और हजारों निर्दोष श्रद्धालुओं का कत्लेआम किया है। दिल्ली की गलियों में और पंजाब की धरती पर हजारों ही निर्दोष सिखों का कत्लेआम हुआ। ऐसे हुकमरानों के आगे और न्यायिक सिस्टम को हजारों निर्दोष सिखों के कातिल आज तक नजर नहीं आए। उस न्यायिक सिस्टम के आगे कौमी रोष स्वरूप वह अपील करने से इंकार करते है।
उस समय देश और विदेश में खालसा पंथ ने राजोआना द्वारा दिखाई गई भावनाओं के समर्थन में केसरीया ध्वज हाथों में पकडक़र सडक़ों पर निकलते हुए फांसी के विरोध में रोष प्रदर्शन किए तो समूचे खालसा पंथ द्वारा दिखाई गई भावना का सत्कार करते हुए शिरोमणि कमेटी ने देश के राष्ट्रपति के पास अपील दाखिल करके फांसी की सजा पर रोक लगाकर इस सजा को उम्र कैद में बदलने की मांग की और अपील को स्वीकार करते हुए फांसी की सजा पर 28 मार्च 2012 को अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी गई और इस अपील को कार्यवाही के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा गया। अब 6 साल बीत जाने के बावजूद केंद्रीय मंत्रालय इस अपील पर कोई कार्यवाही नहीं ले रहा।
– सुनीलराय कामरेड
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