लुधियाना : 2 दिन पहले देश के जिम्मेदार कैबिनेट मंत्री वीके सिंह ने गुरू की नगरी अमृतसर स्थित राजासांसी एयरपोर्ट पर इराक में कत्ल किए गए भारतीयों के अस्थि पिंजर उनके वारिसों को सौंपे थे, तो मीडिया को उन्होने साफ कहा था कि फारेंसिक रिपोर्ट से पता चला है कि इन मासूमों की हत्या एक साल पहले की गई थी।
इन हत्याओं की तिथियां बताना मुश्किल है। जबकि उनका यह दावा था कि मृतकों की पहचान डीएनए फारेंसिक रिपोर्ट से की गई है। किंतु मृतकों से संबंधित डैथ सर्टीफिकेट मीडिया के हाथ लगा है, जोकि जालंधर के गांव डडुके बलवंत राय का है। यह डैथ सर्टिफिकेट रिपब्लिक आफ इराक मनीस्ट्रिी आफ हैल्थ के लीगल मैडीकल अधिकारी द्वारा 25 मार्च 2018 जारी किया गया है,जबकि विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने दावा किया था कि इन मृतकों का कत्ल एक वर्ष पहले हुआ है। हत्याएं कब हुई? यह साफ नहीं लेकिन जब मीडिया ने उनसे दुबारा पूछा तो उनका कहना था कि यह हत्या एक-डेढ़ साल पहले हुई है।
हालांकि वीके सिंह ने इराक की फारेंसिक लैबोटरी कोदुनिया की बेहतरीन लैब बताकर धन्यवाद किया। फिर उनके इस दावे को कि हत्या 2014 में की गई थी, इसके बारे में क्यों कोरा झूठ बोल गए। यह भी पता चला है कि जिन पंजाबियों का कत्ल किया गया था, उनको काफी नजदीक से गोलियांमारी गई थी। मृतक बलवंत राय के पार्थिव अस्थियों के साथ भेजे गए डैथ सर्टिफिकेट और डीएनए रिपोर्ट के पश्चात यह खुलासा हुआ है कि इनकी मृत्यु 2014 में हुई थी और फारेंसिक विभाग ने 11 फरवरी 2018 को इसकी फाइनल रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट के मुताबिक मोसूल के जिस जमीन में दर्जनों अस्थि पिंजर मिले थे, उनमें बलवंत राय की अस्थियां भी थी। बलवंत राय की पत्नी ज्ञान कौर का रो-रोकर बुरा हाल था। उसका बेटा पवन कभी बेहोश होती मां को संभालता।
दरअसल इराक में 39 भारतीयों का कत्ल हुआ था और यह रहस्योदघाटन भारत-पाकिस्तान सीमावर्ती जिले गुरदासपुर में रहने वाले युवक हरजीत मसीह ने भारत पहुंचकर किया था। हालांकि इस खुलासे उपरांत भारतीय सरकार लगातार अपनी बात पर अडिग रही है कि यह कत्ल 2014 में नहीं हुए। इतना ही नहीं वे मृतकों के वारिसों को लगातार दिलासा देते रहे है कि उनके संबंधी जिंदा है।
मृतकों से संबंधित पारिवारिक सदस्यों का कहना है कि कभी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उनके विदेशी रिश्तेदारों के संबंध में कहती थी कि वे मस्जिद में है, सुरक्षित है और कही छिपे होने की बातें करती थी। सरकार किसी भी हालात में भारतीयों की हत्या कबूल नहीं करती थी। अब मृतक बलवंत राय के पारिवारिक सदस्य काफी परेशान है, उन्होंने कहा कि फारेंसिक लैब कह रही है कि 2014 में हत्याएं हुई थी तो भारत सरकार क्यों कतरा रही है, यह समझ से परे है।
– सुनीलराय कामरेड
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