राजस्थान में पिछले 6 वर्षों में बालिका लिंगानुपात 34 अंक की बढोतरी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

राजस्थान में पिछले 6 वर्षों में बालिका लिंगानुपात 34 अंक की बढोतरी

NULL

राजस्थान में पिछले 6 वर्षों में बालिका लिंगानुपात 34 अंक बढ़कर प्रति हजार 922 तक पहुंच गया है। सामाजिक कार्यकर्ता राजन चौधरी ने स्वास्थ्य विभाग में रिपोर्ट होने वाले छह वर्षो के आंकडों का अध्ययन करने के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश के कुल 33 जिलों में से चार जिलों में लिंगानुपात में कमी आयी है जबकि 29 जिलों में बढोतरी हुयी है। इनमें सबसे बेहतरीन बढोतरी हनुमानगढ, गंगानगर, सीकर धौलपुर, झुंझुंनू और करौली में हुयी है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान में वर्ष 2012-13 से जनवरी 2018 तक 0 से 6 वर्ष तक के जीवित बच्चे 79 लाख 26 हजार 891 है, जिनमें से 41 लाख 25 हजार 80 लडके व 38 लाख 01 हजार 811 लड़किया है। आंकड़ के अनुसार गत 6 वर्ष में जन्मे बच्चों का शिशु लिंगानुपात बढ़कर अब प्रति हजार 922 हो गया है जो वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 888 था।

उन्होंने कहा कि अध्ययन में सामने आया कि गत 6 वर्ष में इन आंकड़ों के आधार पर 3 लाख 6 हजार 600 बेटियों ने अधिक जन्म लिया है। उन्होंने बताया कि जनगणना 2011 के आकड़ में 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों में 6 लाख 28 हजार 848 बेटिया कम पैदा हुई थी। इसके कारण प्रदेश में उस समय 1000 लडकों पर 888 बालिका लिंगानुपात रहा।

राजस्थान लिंगानुपात बढोतरी दो जयपुर श्री चौधरी ने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 287 बेटियां प्रतिदिन कम पैदा होती थी जबकि वर्तमान के आंकड़ों के अनुसार 147 बेटिया प्रतिदिन कम पैदा हो रही है। इन आंकडों के अनुसार 140 बेटियों ने प्रतिदिन ज्यादा जन्म लिया है। जिसके कारण गत 6 वर्षो में 3 लाख 6 हजार 600 बेटियां अधिक जन्म ले पाई है।

उन्होंने कहा कि अप्रैल 2012 से जनवरी 2018 तक 0 से 6 वर्ष तक के 83 लाख 3 हजार 627 बच्चों ने जन्म लिया जिनमें से 43 लाख 5 हजार 929 लड़के तथा 39 हजार 97 हजार 698 लड़किया जन्मी है। चौधरी ने बताया कि इन कुल जन्म लेने वाले बच्चों में से 01 लाख 80 हजार 849 लड़के व 01 लाख 95 हजार 887 लड़कियों की 5 वर्ष से पूर्व ही मृत्यु हो चूकी।

श्री चौधरी ने कहा कि पांच वर्ष तक की उम्र में मृत्यु के शिकार होने वाले 3 लाख 76 हजार 736 बच्चों में 15 हजार 38 लड़किया शामिल है जो कि बालिका लिंगानुपात में कमी की दृष्टि से बहुत बड़ी संख्या है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लिंगानुपात पर नियंत्रण रखने के लिये चलाये जा रहे पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन व जन जागरूकता कार्यक्रमों महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

उन्होने कहा कि राजस्थान के हनुमानगढ जिले में बालिका लिंगानुपात 878 से बढ़कर 953 हुआ है जो कि राजस्थान में सबसे अधिक बढ़तरी 75 अंको की है। इसके अलावा गंगानगर एवं सीकर में 74-74, धौलपुर में 70, झुंझुनूं में 67, करौली में 67, दौसा 53, टोक 51,सवाईमाधोपुर में 49, जोधपुर में 45, बांसवाड़ में 45, बूंदी में 44 व सबसे कम कोटा में 01 अंक की बढ़तरी हुई है।

राजस्थान लिंगानुपात बढोतरी तीन अंतिम जयपुर अध्ययन के अनुसार प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डूंगरपुर में बालिका लिंगानुपात 922 से घटकर 900 रह गया जो कि 22 अंको की कमी आई है। इसके अलावा उदयपुर में 12, प्रतापगढ़ व बीकानेर में 4-4 अंको की गिरावट आई है।

श्री चौधरी ने कहा कि राजस्थान में पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत किए गये डिकॉय ऑपरेशनों के कारण बालिका लिंगानुपात में अधिक सुधार तो हुआ है लेकिन 0 से 5 वर्ष तक की उम, में 1 लाख 95 हजार 887 बेटियों की मृत्यु होना बहुत ही चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि यदि इन 2 लाख बेटियों को बताया जाता तो बालिका लिंगानुपात में बेहतर सुधार देखा जा सकता था।

उन्होंने कहा कि निति आयोग द्वारा जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार राजस्थान के बालिका लिंगानुपात में गिरावट के आंकडे पूर्णतया सही नही है। उन्होंने कहा कि पीसीटीएस के आंकड़ के आधार पर राज्य के बालिका लिंगानुपात का आंकलन बेहतर किया जा सकता है।

उन्होने कहा कि राजस्थान में सरकारी अनुमान के अनुसार 19 लाख 60 हजार महिलाऐं गर्भवती होती है जिनमें से करीब 2 लाख 25 हजार महिलाओं का गर्भपात हो जाता है। उन्होंने कहा कि इसी तरह मृत शिशुओं को छोड़कर करीब 17 लाख बच्चे पैदा होते है जिनमें से 14 लाख 20 हजार की रिर्पोटिग स्वास्थ्य विभाग में दर्ज होती है। इन्हीं आंकड़ को आधार बनाकर यह आंकलन किया गया है।

24X7 नई खबरों से अवगत रहने के लिए क्लिक करे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

one + two =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।