राजस्थन के रोडवेजकर्मी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ज्ञापन देंगे आपको बता दे कि राजस्थान परिवहन निगम संयुक्त कर्मचारी फैडरेशन रोड़वेज में कर्मचारियों के बकाया वेतन एवं पेंशन के मुद्दे को हल कराने के लिये बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को ज्ञापन देगा।
फैडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष नाहर सिंह राजावत ने कहा कि यह ज्ञापन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के जयपुर प्रवास के दौरान दिया जायेगा। उन्होंने ये भी कि मांगों को लेकर 13-14 सितम्बर को हड़ताल भी की जायेगी। उन्होंने बताया कि रोडवेज की आर्थिक हालत काफी खराब है तथा कर्मचारियों को दो माह का वेतन बकाया होने के साथ सेवानिवृत कर्मचारियों को 40 माह से परिलाभ नहीं मिला है।
श्री राजावत ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की नीतियों के कारण ही रोड़वेज की हालत खराब हुई। उन्होंने कहा कि भाजपा शासन में आते ही सड़क मार्गो का राष्ट्रीयकरण समाप्त करने के साथ निजी बस सेवाओं के संचालन की योजना शुरू कर दी।
प्रदेश महामंत्री महेश चतुर्वेदी ने बताया कि रोडवेज 1997 तक शुद्ध लाभ में थी । इसके बाद सरकार ने यात्री कर निर्धारण के फार्मूले को बदलकर प्रति सीट प्रति किलोमीटर की दर के स्थान पर चैसिस कोस्ट पर इसका भुगतान करना तय कर दिया । इससे खाली बस संचालन पर भी पूरा यात्री कर भुगतान करना पडा। रोडवेज के घाटे की शुरूआत यहीं से हुई है। बिना सर्वे अथवा आवश्यकता के परमिट जारी करने
की नीति से रोडवेज की बसों का यात्री भार तो घट गया परंतु यात्रा कर में कोई कमी नहीं हुई। इससे घाटे में उत्तरोत्तर वृद्धि होती गई।
श्री चतुर्वेदी ने कहा कि अवैध निजी बस संचालन को अप्रत्यक्ष संरक्षण देने की नीति के कारण रोडवेज के राजस्व रिसाव में वृद्धि हुई। पहले चोरी छुपे होने वाला अवैध संचालन बाद में खुलकर होने लगा। आज निगम के बस अड्डों को निजी बसों ने चारों तरफ से घेर रखा है। परन्तु राज्य सरकार अपने प्रतिष्ठान को बचाने के स्थान पर निजी बस स्वामियों के पक्ष में खडी है।
निगम प्रशासन ने घाटे से उबारने के नाम पर दो काम किए एक तो किराए में वृद्धि की दूसरा कर्मचारियों के जायज भुगतान पर रोक लगाई। किराए में वृद्धि से रोडवेज बसों का यात्री भार कम हुआ और यात्री निजी बसों की ओर आकर्षित हुआ। किराया कम करने से यदि यात्री भार बढता है तो इस पर निगम प्रशासन ने कभी अमल नहीें किया। निगम प्रशासन की अकर्मण्यता के कारण आज रात्रि सेवाओं पर पूरी तर से निजी बसों का नियंत्रण हो गया। संचालन परिणाम अच्छा देने के दबाव में निगम में अंतर आगारीय प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई जिससे राजस्व में वृद्धि नहीं हुई लेकिन खर्चा बढता गया आज निगम की आय से खर्चा 1. 60 करोड रूपये प्रतिदिन ज्यादा है।