डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को साध्वी से यौन शोषण का दोषी करार दिया गया है। बता दे कि CBI कोर्ट में न्यायाधीश जगदीप सिंह ने ये फैसला सुनाया। कोर्ट अब 28 अगस्त को उनकी सजा पर सुनवाई करेगा। वही फैसला सुनते ही राम रहीम कोर्ट में अपने होश खो बैठे।
आपको बता दे कि राम रहीम कोर्ट से सीधा जेल जा रहे हैं उन्हें कस्टडी में लिया गया है। सूत्रों के हवाले से बता जा रहा है कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को हेलीकॉप्टर से रोहतक जेल ले जा रहा है । वही राम रहीम को दोषी करार दिए जाने की खबर से देशभर में फैले राम रहीम के लाखों समर्थकों में दुख की लहर फैल गई है।
बता दे कि कोर्ट इस मामले में राम रहीम को 7 साल की सजा सुना सकती है। नियमों के मुताबिक अगर किसी अभियुक्त को पांच साल से ज्यादा की सजा सुनाई जाती है तो उसे ऊपरी कोर्ट से जमानत लेनी होती है। यानी बाबा राम रहीम को अब हाईकोर्ट से जमानत लेनी होगी। जब तक जमानत नहीं मिलती तब तक उन्हें जेल में ही रहना होगा।
2012 में हरियाणा की न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे न्यायाधीश जगदीप सिंह
2012 में हरियाणा की न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे न्यायाधीश जगदीप सिंह को पिछले साल ही सीबीआई स्पेशल जज के लिए चुना गया था। जो कि एक न्यायिक ऑफिसर के रूप में दूसरी पोस्ट है। सिंह 2012 में हरियाणा की न्यायिक सेवाओं में शामिल हुए और उन्हें सोनीपत में तैनात किया गया। सीबीआई कोर्ट पोस्टिंग, जो आम तौर पर उच्च न्यायालय प्रशासन द्वारा कई जांच के बाद दी जाती है ।
इस बीच पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार के अधिकारियों को डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के उपद्रव करने वाले समर्थकों से सख्ती से निपटने का निर्देश दिया है। वहीं आज हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने लोगों से शातिं की अपील की है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि हम किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार हैं और कोर्ट जो भी फैसला करेगी हम उसको लागू करवाएंगे। मुख्यमंत्री ने डेरा समर्थकों से खास तौर पर शांति की अपील की है।
वही पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी डेरा समर्थकों से खास तौर पर शांति की अपील की है।
उल्लेखनीय है कि डेरा प्रमुख के खिलाफ यह मामला लगभग 15 साल पुराना है जब एक अज्ञात महिला ने वर्ष 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय सहित अनेक शीर्ष संस्थाओं को पत्र लिख कर डेरा सच्चा सौदा में साध्वियों के साथ अनैतिक कृत्य होने का आरोप लगाया था। पत्र में स्पष्ट तौर पर डेरा प्रमुख के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप लगाये गये थे। शुरूआत में पत्र के तथ्यों की जांच सिरसा के तत्कालीन सत्र जज को सौंपी गई थी जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में डेरा में कुछ गलत होने की आशंका जाहिर की थी।
इस बीच उच्च न्यायालय ने सत्र जज की आशंकाओं का पत्र का स्वत: इसका संज्ञान लेते हुये सीबीआई को मामले की जांच के आदेश दिये। सीबीआई ने प्रारम्भिक जांच में पर्याप्त तथ्य पाये जाने पर डेरा प्रमुख के खिलाफ दुष्कर्म सहित अन्य आरोपों में मामला दर्ज किया था जिसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दिये जाने पर मामले में स्थगनादेश मिल गया।
अक्तूबर 2004 में स्थगनादेश खारिज होने के बाद सीबीआई ने जांच तेज कर दी तथा जुलाई 2007 में उसने अम्बाला की विशेष अदालत में डेरा प्रमुख के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। बाद में सीबीआई अदालत पंचकूला स्थानांतरित हो गई और तब से वहीं मामले की सुनवाई चल रही थी।
वर्ष 2009 में मामले की सुनवाई के दौरान दो और पीडि़त महिलाएं सामने आइ और इन्होंने अदालत में अपने बयान दिये जिससे डेरा प्रमुख के खिलाफ मामला और मजबूत हो गया। वर्ष 2011 से 2016 तक अदालत में सुनवाईयों के दौरान इस मामले में कुल 52 गवाह पेश हुये। डेरा की ओर अदालतों में पैरवी कर रहे वकीलों ने गुमनाम पत्र की विश्वसनीयता तथा पीडि़ताओं की मेडिकल जांच न होने पर सवाल उठाये।
मामला अदालत में चलता रहा। लेकिन इसमें काफी विलम्ब हो जाने पर अदालत ने इस पर गत 25 जुलाई को रोज सुनवाई का फैसला लिया। मामले में गत 17 अगस्त को जिरह पूरी होने के बाद अदालत ने फैसला सुनाने के लिये 25 अगस्त की तारीख तय की थी।