रायपुर: छत्तीसगढ़ में रमन सरकार अब प्रशासनिक कसावट पर फोकस कर रही है। चुनाव से पहले प्रशासनिक स्तर पर कामकाज को लेकर शासन स्तर पर दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इस मामले में नए सिरे से कवायदों ने जोर पकड़ा हुआ है। कलेक्टर एवं एसपी कांफ्रेंस के बाद रमन सरकार का जोर मंत्रालय से लेकर मैदानी स्तर पर शासकीय विभागों में कामकाज दुरूस्त कर तेजी लाना है।
इस मामले में आदिवासी बेल्ट में विशेष तौर पर मानिटरिंग की जा रही है। मुख्यमंत्री की घोषणाओं के साथ सरकार की योजनाओं को धरातल पर अमलीजामा पहनाने के लिए निर्देशित किया गया है। हालांकि कलेक्टर एवं एसपी कांफ्रेंस के बाद से ही कमजोर परफार्मेंस वाले अफसरों को हटाने की भी कवायदें हुई है। इनमें बड़ी तादाद में अफसरों के प्रभार बदले गए हैं। वहीं सूत्रों की मानें तो अभी भी बदलाव की गुंजाईश बनी हुई है।
मैदानी स्तर पर भी बदलाव को लेकर संबंधित विभागों में अफसरों के परफार्मेंस खंगाले जा रहे हैं। जिन विभागों में योजनाओं का लक्ष्य हासिल करने में पिछड़ने की आशंका है वहां शिकंजा कसा जाएगा। चुनावी वर्ष में सरकार इस मामले में कोई कसर बाकी छोडऩे के मूड में नजर नहीं आ रही है। इधर सरकार की ओर से कवायदों में निचले स्तर पर जिम्मेदार अफसरों को लक्ष्य पूरा करने के लिए कहा गया है।
खुद मंत्रालय स्तर से मुख्य सचिव सभी विभागों के मैदानी स्तर पर रिपोर्ट ले रहे हैं। वहीं मैदानी स्तर पर कामकाज की रिपोर्ट से सीधे मुख्यमंत्री को अवगत कराया जा रहा है। सूत्रों का यह भी दावा है कि अभी भी कई विभागों में निचले स्तर पर कामकाज की शुरूआती रिपोर्ट संतोषजनक नहीं है। वहीं कामकाज की धीमी गति के बाद संबंधित मंत्रियों को भी हिदायतें दी गई है। सरकार की ओर से चुनाव में विकास ही बड़ा मुद्दा होगा। वहीं स्वच्छ प्रशासन पर जोर देते हुए सत्ताधारी दल चुनाव में उतरेगी।