लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने शनिवार को कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के दलित समर्थक होने के दावों पर सवाल उठाया और 14 सवाल दागकर भारत की सबसे पुरानी पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी से इसका जवाब देने को कहा। लोजपा अध्यक्ष ने दलितों और आदिवासियों की चिंताएं दूर करने के लिये संसद में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) विधेयक को जल्द पारित कराने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की।
रामविलास पासवान ने दलित समुदाय और पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि दलितों के आदर्श बी आर आंबेडकर ने जब दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था तो उनकी पार्टी उनके खिलाफ क्यों खड़ी हुई थी। क्यों संसद के केन्द्रीय कक्ष में आंबेडकर की कोई तस्वीर नहीं थी, जबकि नेहरू परिवार के तीन सदस्यों की तस्वीरें थीं। क्यों उनकी पार्टी ने सत्ता में रहने पर आंबेडकर को भारत रत्न नहीं दिया जबकि फिल्मी सितारों को भारत रत्न दिया गया।”
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केंद्रीय मंत्री ने जो अन्य सवाल पूछे उसमें क्यों ओबीसी आयोग को कांग्रेस के शासनकाल में संवैधानिक दर्जा नहीं दिया गया, आंबेडकर का जिस स्थान पर जन्म हुआ और जहां वह रहे (दिल्ली, मुंबई, नागपुर) और लंदन में क्यों किसी स्मारक का निर्माण नहीं किया गया। लंदन में आंबेडकर की मृत्यु हुई थी।
SC / ST अधिनियम में संशोधन विधेयक पारित कराने के लिए रामविलास पासवान ने PM को दी बधाई
एससी-एसटी अधिनियम में संशोधन विधेयक पारित कराने के लिये प्रधानमंत्री को बधाई देते हुए रामविलास पासवान ने कहा, “हमें भरोसा था कि विधेयक पारित होगा, लेकिन यह इतनी जल्दी होगा कि कैबिनेट की बैठक संसद सत्र के दौरान ही बुलाई जाएगी और विधेयक को इसके बाद लोकसभा और राज्यसभा में पारित करा दिया जाएगा, इसकी उम्मीद नहीं थी। मैं अब विपक्षी पार्टियों से पूछना चाहता हूं कि क्यों हमें दलित विरोधी कहा जाता है।”
दलित नेता ने बसपा प्रमुख मायावती पर भी दोहरा मानदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के दुरुपयोग पर अक्तूबर 2007 में दिशा-निर्देश जारी किया था और कहा था कि पुलिस इस कानून के तहत दी गई शिकायत की जांच करने के बाद ही मामला दर्ज करे।
समाजवादी पार्टी से सवाल पूछते हुए रामविलास पासवान ने कहा, “जब सभी पार्टियां दलितों के लिये पदोन्नति में आरक्षण के लिये एक विधेयक के पक्ष में थीं तो सपा ने इसका विरोध क्यों किया। सभी विपक्षी पार्टियों की तरह वह (सपा) भी और महागठबंधन भी दलित विरोधी है।”