नई दिल्ली : रूस और भारत के बीच हवाई रक्षा एस 400 ट्रायम्फ मिसाइल प्रणाली के सौदे को लेकर सारा रास्ता साफ हो गया है। बताया जा रहा है कि अक्तूबर में नई दिल्ली में होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच सालाना शिखर बैठक से पहले ही इस सौदे पर हस्ताक्षर हो जाएंगे। वहीं रक्षा मंत्रालय की मानें तो इस सौदे में कीमत और तकनीक हस्तांतरण के कुछ मुद्दों को लेकर रूकावट आ रही थी, लेकिन अब सभी मुद्दों को सुलझा लिया गया है और जल्द ही भारत सरकार 40 हजार करोड़ खर्च कर मिसाइल प्रणाली खरीदेगी।
गौरतलब हो साल 2016 के अक्टूबर महीने में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की मंजूरी के बाद गोवा शिखर बैठक में मोदी-पुतिन ने कुल छह एस 400 प्रणाली की खरीद के लिए प्रक्रिया शुरू करने के करार (एमओयू) पर दस्तखत किए थे। हाल ही में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और रूसी विदेश मंत्री सर्गेइ शोइगो ने बेजिंग में मुलाकात की और सभी मुद्दों को सुलझा लिया। इस वार्ता में ये तय किया गया कि सौदे को अक्तूबर तक पूरा कर दिया जाएगा।
भारत विशेषकर चीन के साथ अपनी 4000 किलोमीटर लंबी सीमा पर हवाई रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए लंबी दूरी की मिसाइल प्रणाली खरीदना चाहता है।
अमेरिका के रक्षा मंत्री जिम मेटिस ने पिछले सप्ताह देश की संसद से अपील की कि भारत को प्रतिबंध से छूट दी जाए। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित सौदे पर सीएएटीएस (अमेरिका के विरोधियों का व्यापार-प्रतिबंधों के माध्यम से सामना करने का अधिनियम) के तहत प्रतिबंध लगाने का नुकसान केवल अमेरिका को होगा।
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