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नदियों-तालाबों की सुरक्षा हम सबकी जिम्मेदारी

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रायपुर : मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 22 मार्च को विश्व जल दिवस के अवसर पर सभी लोगों से मानव जीवन और प्राणी जगत की सुरक्षा के लिए पानी बचाने की अपील की है। उन्होंने विश्व जल दिवस के अवसर पर आज यहां जनता के नाम जारी अपील में कहा है कि पानी बचाना और नदियों, तालाबों, झीलों और झरनों के साथ-साथ हर जल स्त्रोत स्वच्छ और सुरक्षित रखना हम सबकी सामाजिक जिम्मेदारी है।

छत्तीसगढ़ सरकार इस दिशा में गंभीरता से हर संभव प्रयास कर रही है। राज्य में वर्षा जल संचय (रेन वाटर हार्वेस्टिंग) तथा वाटरशेड कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जा रहा है। मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में छोटी-बड़ी जल संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। डॉ. सिंह ने कहा कि मनरेगा शुरू होने के विगत 12 वर्षों में पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से छत्तीसगढ़ में जल संरक्षण और संवर्धन के लिए 21 हजार से ज्यादा नये तालाबों का निर्माण और 56 हजार 397 तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया।

करीब साढ़े तीन हजार चेक डेम, 81 एनीकट, 2637 स्टाप डेम निर्माण और जीर्णोद्धार सहित हजारों की संख्या में सिंचाई नालियों के निर्माण और नहर लाईनिंग का कार्य करवाया गया। जल संसाधन विभाग द्वारा प्रदेश के नदी-नालों में 651 एनीकटों का निर्माण किया गया, जिनसे भू-जल स्तर को बढ़ाने में काफी मदद मिली है। ग्रामीणों और किसानों को स्थानीय स्तर पर निस्तारी के साथ-साथ सिंचाई सुविधा मिल रही है।

वर्तमान में विभाग द्वारा 157 एनीकटों और स्टापडेमों का निर्माण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए भी सरकार के प्रयास निरंतर जारी हैं। डॉ. रमन सिंह ने सरकार के इन प्रयासों में व्यापक जनभागीदारी पर भी बल दिया। उन्होंने कहा-वर्ष 2003 में राज्य में जहां एक लाख 36 हजार हैण्डपम्प थे, वहीं इनकी संख्या विगत लगभग चौदह वर्ष में बढ़कर दो लाख 68 हजार तक पहुंच गई।

छत्तीसगढ़ में आज की स्थिति में प्रत्येक 73 की जनसंख्या पर एक हैण्डपम्प की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा राज्य में विगत 14 वर्ष में ग्रामीण नल-जल प्रदाय योजनाओं की संख्या 978 से बढ़कर तीन हजार 148 हो गई है। ग्रामीण नल-जल प्रदाय योजनाओं में तीन लाख 75 हजार से ज्यादा घरेलू नल कनेक्शन दिए गए हैं।

राज्य शासन द्वारा पेयजल की गुणवत्ता पर भी विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। जल परीक्षण के लिए 27 जिला स्तरीय प्रयोगशालाएं और 24 उपखण्ड स्तरीय प्रयोगशालाएं संचालित हैं। इसके साथ ही 18 मोबाइल प्रयोगशालाओं की भी स्थापना की गई है। विद्युत विहीन इलाकों में सौर ऊर्जा आधारित पम्पों के जरिए पेयजल आपूर्ति की जा रही है।

शहरी क्षेत्रों में अब तक 67 जल प्रदाय योजनाओं का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है। इनके अलावा 81 शहरों में आवर्धन जल प्रदाय योजनाओं का निर्माण भी प्रगति पर है। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 1992 में रियो-डिजेनेरियो (ब्राजील) में पर्यावरण तथा विकास पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद अगले साल 1993 में 22 मार्च को पहला विश्व जल दिवस मनाया गया।

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