नई दिल्ली : कांग्रेस ने आज अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की और दावा किया कि सरकार आगामी विधानसभा चुनावों की वजह से मौजूदा सत्र में संशोधन विधेयक लेकर आई है। पार्टी ने यह सवाल किया कि कई छोटे-बड़े विषयों पर अध्यादेश लाने वाली सरकार पिछले चार महीनों में एससी-एसटी कानून के संदर्भ में अध्यादेश क्यों नहीं लाई? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद दलित समाज के लोग खड़े हुए और आंदोलन शुरू हुआ।
कांग्रेस ने हर स्तर पर यह मुद्दा उठाया। छह अध्यादेश लाए गए, लेकिन एससी-एसटी मामले पर नहीं लाया गया। यह बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा था और 23 फीसदी लोगों के अधिकारों एवं स्वाभिमान से जुड़ा था। ऐसे में सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए था।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘ सरकार ने सोचा कि इस मुद्दे पर उसे आगामी चुनावों में नुकसान हो सकता है। सरकार पर भाजपा के एससी-एसटी सांसदों का भी दबाव था, इसलिए विधेयक अब लाया गया है।
उन्होंने कहा कि एससी-एसटी कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में डाला जाए ताकि यह न्यायिक समीक्षा से मुक्त हो सके। खड़गे ने आरोप लगाया, ‘‘ आरएसएस के लोग कहते हैं कि हम संविधान बदलना चाहते हैं। सरकार के कई मंत्री और सांसद भी यही कहते हैं। ऐसा लगता है कि इनका संविधान पर विश्वास नहीं है। इस तरह के बयानों पर प्रधानमंत्री खामोश क्यों रहते हैं?’’ उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार हमेशा दलित, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। कांग्रेस नेता ने मुजफ्फरपुर की घटना का हवाला दिया और आरोप लगाया कि उनकी पार्टी की सांसद रंजीत रंजन जब इस मुद्दे को उठाती हैं तो सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आता है।