नयी दिल्ली /तेल अवीव : भारत-इस्राइल ने जहां बढ़ते कट्टरपंथ व आतंक के खिलाफ मिल कर काम करने की शपथ ली। वहीं आतंकी समूहों के पनाहगारों व आर्थिक मदद देनेवालों के खिलाफ कड़े कदम उठाने पर सहमत हुए। तीन दिवसीय इस्राइल यात्रा के दूसरे दिन बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी ने इस्राइली पीएम नेतन्याहू के साथ आतंकवाद व सामरिक खतरों समेत कई मुद्दों पर लंबी चर्चा की।
इनमें रक्षा सहयोग व सुरक्षा, जल संरक्षण, कृषि व पश्चिम एशिया अहम है। व्यापक बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने गंगा सफाई, अंतरिक्ष, नवोन्मेष जैसे जुड़े सात अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किये। दोनों नेताओं ने माना कि आतंक वैश्विक शांति व स्थायित्व के लिए बड़ा इसलिए इसके सभी रूपों से लड़ने की जरूरत है। आतंकी संगठनों, उनके नेटवर्कों पर शिकंजा, उन्हें आर्थिक मदद देनेवालों पर कठोर कार्रवाई की भी बात कही।
इसके साथ ही कंप्रेहेन्सिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म को जल्द अपनाने के लिए सहयोग पर भी प्रतिबद्धता जतायी। पीएम मोदी व इस्राइली पीएम नेतन्याहू ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस दौरान मोदी ने नेतन्याहू और उनके परिवार को भारत आने का न्योता दिया, जिसे उन्होंने तत्काल मंजूर भी कर लिया।
नेतन्याहू ने इस मुलाकात को महान बताते हुए कहा कि मेरे दोस्त नरेंद्र मोदी इतिहास रच रहे हैं। एहसास हो रहा है कि हम मिल कर दुनिया को बदल सकते हैं। दोनों देश पांच साल के लिए प्रौद्योगिकी कोष शुरू करने पर सहमत हुए। यह कुछ उसी तरह का कोष है जिससे चार दशक तक अमेरिका के साथ इस्राइल के संबंधों को मजबूती मिली। इसके अलावा दोनों देश व्यापारिक और कारोबारी संबंधों को बढ़ावा देने के लिए निवेश संरक्षण संधि पर बातचीत के लिए भी सहमत हुए हैं। वहीं, भारत इस्राइल में सांस्कृतिक केंद्र खोलेगा। भारत और इस्राइल ने औद्योगिक शोध व विकास के लिए चार करोड़ डॉलर के कोष की स्थापना पर भी सहमति जतायी। दोनों देश इसके लिए दो-दो करोड डॉलर देंगे।
सात समझौते
- दोनों के बीच 26 अरब का इंडस्ट्रियल आर एंड डी व टेक्नोलॉजी इनोवेशन फंड.
- भारत में जल संरक्षण के लिए मदद
- भारत के राज्यों में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए करार
- कृषि के लिए तीन साल के कार्यक्रम की घोषणा
- आणविक घड़ी के लिए सहयोग
- जीइओ-एलइओ ऑप्टिकल लिंक के लिए एमओयू
- छोटे सैटलाइट्स को बिजली के लिए करार
भारतीय समुदाय से मोदी के भाषण की खास बाते
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपनी इजराइल यात्रा के दौरान कन्वेन्शन सेंटर में भारतीय कम्युनिटी के बीच जाकर उन्हें संबोधित किया। इस मौके पर इजरायल पीएम बेंजामिन नेतन्याहू भी उनके साथ मौजूद रहे। मोदी ने अपने स्पीच की शुरुआत हिब्रू में की और इजरायली लोगों का अभिवादन किया।
- ‘मैं आपसे मेरी बात की शुरुआत इसी कन्फेशन से करना चाहता हूं। वाकई, बहुत दिन बाद मिले. दिन भी कहना ठीक नहीं है। सच यह है कि मिलने में हमें कई साल लग गए. 10-20-50 नहीं, 70 साल लग गए।
- आजादी के 70 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री आज आप सभी के आशीर्वाद ले रहा है। इस अवसर पर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू यहां मौजूद हैं।’ इजरायल में किसी भारतीय नेता का इस तरह का पहला इवेंट है।
- जो सम्मान मुझे दिया वह भारत के सवा सौ करोड़ लोगों का सम्मान है। हम दोनों ही अपने अपने देशों की स्वतंत्रता के बाद पैदा हुए हैं। भारतीय भूमि के प्रति उनका प्यार..उन्हें भारत खींच लाने वाला है।
- भारत और इजराइल कई साल से गहराई से जुड़े हुए हैं। आज भी यह जगह येरुशलेम और भारत के संबंधों का प्रतीक है। भारत-इजराइल का साथ परंपराओं, संस्कति, विश्वास, मित्रता का है।
- मैं इजराइल की शौर्यता को प्रणाम करता हूं। किसी भी देश का विकास, आकार उसके नागरिकों का भरोसा तय करता है। संख्या बढ़ाना उतना मायने नहीं रखता ये इजराइल ने कर दिखाया है। हाइफा की आजादी में भारतीय सैनिकों का हाथ है।
- हमारे त्योहारों में भी अद्भुत समानता है. भारत में होली की तरह यहां भी ऐसा ही त्योहार मनाया जाता है। भारत में दिवाली तो यहां हनुका मनाया जाता है।
- शौर्य इजराइल के विकास का आधार रहा है। किसी भी देश का विकास और आकार उसके देश के नागरिकों के भरोसे पर तय होता है। संख्या और आकार मायने नहीं रखती, यह इजराइल साबित किया है।
- एलिश एस्टन को द इंडियन के नाम से भी जान जाता है। ब्रिटिश काल के दौरान उन्होंने मराठा इन्फ्रेंट्री में काम किया था। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान हाइफा को आजाद कराने में भारतीयों की भूमिका रही है। मेरा सौभाग्य है कि मैं उन वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देने हाइफा जा रहा हूं।
- मैं भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जफरयाब जैकब का जिक्र करना चाहता हूं। उनके पुरखे बगदाद से भारत आए। 1971 में जब बांग्लादेश पाक से आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था, तब उन्होंने पाक सैनिकों का समर्पण कराने में अहम भूमिका निभाई है यहूदी लोग भारत में कम संख्या में रहे लेकिन जिस भी क्षेत्र में रहे। उन्होंने उपस्थिति अलग से दर्ज कराई. सिर्फ सेना ही नहीं, साहित्य, संस्कृति, फिल्म में भी यहूदी लोग अपनी इच्छाशक्ति के दम पर आगे बढ़े हैं।
- मेरी सरकार का एकमात्र फॉर्मूला – रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफ़ॉर्म है।