रोहिंग्या शरणार्थियों मुद्दे पर बांग्लादेश ने भारत से मदद की गुहार लगाई। आपको बता दे कि शुक्रवार को 2 दिन के दौरे पर भारत आईं की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि हमने मानवता के आधार पर रोहिंग्या को शरण दी। अब चाहते है कि वे जल्द अपने देश लौट जाएं। प्रधानमंत्री मोदी इसके लिए म्यांमार के साथ बातचीत में हमारी मदद करें।
वही , इससे पहले वे नरेंद्र मोदी के साथ पश्चिम बंगाल के विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। बता दें कि दीक्षांत समारोह के बाद पीएम नरेंद्र मोदी और शेख हसीना ने 25 करोड़ रुपये की लागत से बने बांग्लादेश भवन का भी उद्घाटन किया।
पीएम ने इस मौके पर कहा कि भारत और बांग्लादेश दो अलग देश हैं जो सहयोग एवं आपसी सहयोग से जुड़ें हैं। चाहे उनकी संस्कृति हो या लोकनीति , दोनों देशों के लोग एक दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं। मोदी ने कहा कि बांग्लादेश भवन इसका एक उदाहरण है। केंद्रीय विश्वविद्यायल में मोदी ने शेख हसीना के साथ बांग्लादेश भवन का उद्घाटन किया, जो भारत और बांग्लादेश के बीच सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है। इस परिसर में भवन का निर्माण बांग्लोदश ने किया है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, बांग्लादेश के करीब 150 प्रतिनिधि दीक्षांत समारोह और बांग्लादेश भवन के उद्घाटन के लिए यहां पहुंचे हैं।
इस दौरान उन्होंने छात्रों से कहा कि मैं परंपरा को निभाने के लिए यहां आया हूं। मैं यहां का अतिथि नहीं आचार्य हूं। सबसे पहले तो यहां का चांसलर होने के नाते मैं आपसे एक बात की माफी मांगना चाहता हूं। जब मैं यहां आ रहा था तो मैंने कुछ छात्रों को इशारों में बात करते हुए देखा। वो मुझसे कह रहे थे कि यहां पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। मैं इस असुविधा के लिए आपसे माफी मांगता हूं।
बता दे कि ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा था कि वह शनिवार को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाकात करेंगी लेकिन तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे के मुद्दे पर चर्चा नहीं होगी। उन्होंने कहा कि तीस्ता नदी पर चर्चा के लिए इस कार्यक्रम के दौरान कोई जगह नहीं है।
आपको बता दे कि इससे पहले शांतिनिकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने असुविधा के लिए छात्रों से क्षमा मांगी। बांग्ला में अपने संबोधन की शुरुआत करने के बाद उन्होंने कहा कि मैं चांसलर होने के नाते यहां हुई असुविधाओं के लिए क्षमा मांगता हूं। जब वह आ रहे थे तो रास्ते में कुछ बच्चे इशारों में कह रहे थे कि यहां पीने का पानी भी नहीं है। मैं आप सबसे इसके लिए क्षमा मांगता हूं।
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