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SYL नहर मामले में न्यायालय के फैसले का सम्मान होना चाहिए : SC

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नयी दिल्ली :  उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि सतलुज-यमुना लिंक नहर मामले में उसके आदेशों का “सम्मान” होना चाहिए और उन पर “क्रियान्वयन” किया जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि इनका पालन करना पंजाब और हरियाणा सरकारों का कर्तव्य है। न्यायालय ने दोनों राज्यों को यह सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया कि इस मामले को लेकर कोई आंदोलन नहीं हो। हरियाणा में एसवाईएल मामले पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं। मुख्य विपक्षी दल इनेलो ने सड़कों को बाधित किया था और प्रदर्शन किए थे।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, “दोनों राज्यों (पंजाब एवं हरियाणा) के प्राधिकारियों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि इस न्यायालय के आदेश का सम्मान एवं क्रियान्वयन होना चाहिए।” मामले की सुनवायी के दौरान अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि केंद्र इन दोनों राज्यों को आपसी सहमति वाले चरण में लाने की कोशिश कर रहा है ताकि आदेश का सौहार्दपूर्ण तरीके से क्रियान्वयन किया जा सके।

न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय और न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर भी इस पीठ के सदस्य हैं। वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने दोनों राज्यों के समर्थ प्राधिकारियों के साथ कई बैठकें की हैं और केंद्र सरकार को उम्मीद है कि एसवाईएल मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा के बीच सुलह हो जाएगी। सुनवायी के अंत में पीठ को सूचित किया गया कि इस मामले पर दोनों राज्यों में कुछ आंदोलन चल रहे हैं।

पीठ ने कहा, “मामला इस न्यायालय में विचाराधीन है और हमने केंद्र सरकार को समाधान तलाशने के लिए समय दिया है। यह देखना राज्य प्राधिकारियों का दायित्व है कि वहां किसी प्रकार का आंदोलन नहीं हो।” पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए सात सितंबर की तारीख तय की है।

हरियाणा के वर्ष 1966 में पंजाब से अलग राज्य बनने के बाद विवादास्पद 1981 जल वितरण समझौता हुआ था। जल के उचित वितरण के लिए एसवाईएल नहर लिंक की अवधारणा की गई और दोनों राज्यों को अपने अपने क्षेत्रों में उसके हिस्सों का निर्माण करना था। हरियाणा के अपने क्षेत्र में एसवाईएल नहर के हिस्से का निर्माण किया लेकिन पंजाब ने शुरूआती चरण के बाद काम रोक दिया जिसके बाद कई मुकदमे हुए।

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