नई दिल्ली: आम चुनावों से पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम का असर उत्तर प्रदेश में भी दिख सकता है। यूपी में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन कर सकती है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि कर्नाटक चुनाव परिणाम का असर इस संभावित गठबंधन पर भी पड़ सकता है। एक्जिट पोल में संभावना जताई जा रही है कि एचडी देवगौड़ा की पार्टी JDS (जनता दल सेक्युलर) किंगमेकर साबित होगी, जबकि चुनाव में इस पार्टी का बीएसपी के साथ गठबंधन है। वहीं समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस का समर्थन किया था। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कांग्रेस के लिए रैलियां भी की थीं।
संभावना जताई जा रही है कि अगर कर्नाटक चुनाव परिणाम आने के बाद JDS+बीएसपी गठबंधन BJP को सरकार बनाने में मदद कर देती है तो इसका सीधा असर यूपी में दिख सकता है। माना जा रहा है कि ऐसी हालत में अखिलेश यादव और मायावती के बीच होने वाले गठबंधन में दरार आ सकती है।
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि मायावती BJP+JDS गठबंधन का हिस्सा किसी भी सूरत में नहीं बनेंगी। उन्होंने कहा कि बीएसपी उत्तर प्रदेश में मजबूत है, जबकि कर्नाटक में सहयोगी दल है। ऐसी हालत में वह कर्नाटक के लिए अपने गढ़ यूपी में इतनी बड़ी गलती नहीं करेंगी।
सपा नेता ने कहा कि JDS कह रही है कि वह BJP या कांग्रेस में से किसी भी राष्ट्रीय सरकार के साथ मिलकर सरकार नहीं बनाएगी। हालांकि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दलित चेहरे के नाम पर सीएम पद छोड़ने की बात कहकर JDS को इशारों में साथ आने का न्योता दे दिया है।
राजनीति के जानकार भी मानते हैं कि मौजूदा वक्त में मायावती का BJP+JDS गठबंधन की सरकार बनाने में सहयोग करना मुश्किल लगता है। हालांकि इस संभावना से इनकार भी नहीं किया जा रहा है। जानकारों को कहना है कि मायावती के खिलाफ चीन मिल मामले में सीबीआई जांच चल रही है। इससे पहले मायावती साल 2002 में अपने मंत्रिमंडल में 7 BJP विधायकों को जगह देकर सरकार चला चुकी हैं।
सपा के विधान परिषद सदस्य उदयवीर सिंह का मानना है कि कर्नाटक में बीएसपी को फैसला लेना है। उन्होंने कहा कि गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव के दौरान बना सपा-बसपा गठबंधन 2019 तक जारी रहेगा।
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