रायपुर:छत्तीसगढ़ में चुनावी मिशन के दौर में सत्ताधारी दल भाजपा को सत्ता से बाहर करने विरोधी दलों में रणनीतिक कवायदें तेज हो गई है। सरकार के खिलाफ गांवों में जाकर माहौल बनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जा रही है। राज्य में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इंदिरा जन अधिकार पदयात्रा के जरिए किसानों, मजदूरों एवं अन्य वर्गों के मुद्दों को एजेंडे में शामिल किया है। वहीं पदयात्रा के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में माहौल बनाने की कोशिशें हो रही है। दूसरी ओर क्षेत्रीय दल छजकां ने भी छत्तीसगढिय़ा पदयात्रा कर आगाज किया है।
इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने भी छत्तीसगढ़ में नए सिरे से कवायदें शुरू की है। आप ने छत्तीसगढ़ बदलने पदयात्रा शुरू कर सरकार को कटघरे में खड़ा करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। हालांकि विपक्ष की ओर से कांग्रेस ने गांवों में पहुंचकर सरकार की नाकामियों और भ्रष्टाचार पर फोकस करते हुए हवा का रूख बरकरार रखने की रणनीति बनाई है। यही वजह है कि कांग्रेस ने इस मामले में मुख्यमंत्री के जिले से फोकस कर पदयात्रा का आगाज किया है।
पहले चरण में सात विधानसभा क्षेत्रों से होकर यह पदयात्रा गुजर रही है। मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र वाले राजनांदगांव जिले में ही इस वर्ष बड़ी तादाद में किसानों ने आत्महत्या की है। विपक्ष ने धान के बोनस वादे के तहत पूरे पांच साल का वितरण करने के साथ घोषणा पत्र की याद दिलाई है।
इसमें समर्थन मूल्य 2100 रूपए के वादों पर भी दबाव बनाया है। इसके लिए राज्य के किसानों की कर्ज माफी के साथ फसल बीमा और सूखा राहत को लेकर भी लगातार मांग उठाई है। इन मांगों के जरिए घेरेबंदी कर कांग्रेस ने सरकार को मुश्किलों में डालने की कोशिशें की है। इसके अलावा पूर्ववर्ती यूपीए सरकार द्वारा चलाई गई मनरेगा योजना के दम तोडऩे की स्थिति को लेकर भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। वहीं इसे मजदूर और गरीब वर्ग के हितों पर कुठाराघात करार देते हुए सरकार से जवाब भी मांगा है।