नई दिल्ली : सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पूर्ण रूप से बिजली से चलने वाली करीब 960 सेमी – लो फ्लोर बसों की खरीद के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव पर आज उच्चतम न्यायालय ने सवाल उठाते हुए पूछा कि इन बसों के लिए चार्जिंग स्टेशन पित करने में कितना वक्त लगेगा। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह इन बसों की प्रकृति और गुणवत्ता के बारे में उसे अवगत कराए।
न्यायालय ने सरकार को हाइड्रोजन ईंधन सेल से चालित बसों के इस्तेमाल की संभावना पर विचार करने का निर्देश भी दिया। हाइड्रोजन ईंधन सेल से चालित बसें मिश्रित प्रकृति की होती हैं और सीएनजी या बिजली से चलने वाले वाहनों की तुलना में ज्यादा किफायती होती हैं। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने सरकार से कहा कि वह दो हफ्ते के भीतर इस बाबत हलफनामा दायर करे और बताए कि सार्वजनिक परिवहन से जुड़े कोष का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया। पीठ ने कहा कि हलफनामे में दिल्ली में जरूरी बसों की संख्या का ब्योरा भी होना चाहिए।