श्योपुर: सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद भी गुजरात सरकार द्वारा गिरि से एशियाई शेर देने में बार-बार लगाए जा रहे अडंगों का प्रदेश की शिवराज सरकार विरोध करने के मूड में नहीं है,क्योंकि सरकार को चिंता है कि गुजरात सरकार से विरोध यानि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पंगा लेना है। यही वजह है कि शिवराज सरकार ने कूनो अभ्यारण्य में गिरि से आने वाले शेरों की उम्मीद छोड़ते हुए सूबे के अन्य रिजर्व टाइगरों से बाघ लाने की तैयारी शुरू कर दी है।
इस संबंध में सीएम ने चार दिन पहले राज्य वन्य प्राणी बोर्ड की बैठक में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से कूनो में बाघ लाने के निर्देश भी दे दिए हैं। सरकार के इस कदम से उन वन्य प्रेमियों का खफा होना तय है,जो कूनो में एशियाई सिंहों की दहाड़ सुनने को लालयित थे।
गत दिनों हुई बैठक में सीएम ने गुजरात के गिरि से एशियाई सिंहों के आने की उम्मीद छोड़ते हुए बस इतना कहा कि अगर गुजरात के पास लॉयन हैं तो हमारे पास भी टाइगरहैं,उन्हें कूनों में शिफ्ट किया जाएगा। सीएम ने अफसरों से कहा कि मप्र के टाइगर रिजर्व सहित जहां-जहां भी इनकी संख्या अधिक हो रही है,वहां से उन्हें कूनो पालपुर भेजो। सीएम के निर्देश के बाद वन विभाग इस संबंधमें प्रस्ताव भेजने की तैयारी में है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के कई टाइगर रिजर्व सहित वन्य क्षेत्रों में टाइगरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है,जिसके चलते टाइगर इंसानों पर अक्सर हमले कर रहे हैं। हालांकि विभागीय आला अफसरों ने टाइगरों को नौरादेही,संजय गांधी टाइगर रिजर्व,सतपुडा टाइगररिजर्व, ओंकारेश्वर टाइगर रिजर्व में भेजने की योजना बनाई थी, लेकिन बैठक में जब सीएम के समक्ष यह प्रस्ताव आया तो उन्होंने कहा कि इन्हीं टाइगर रिजर्वों में क्यों, इन्हें कूनो पालपुर भी तो भेजा जा सकता है।
लेकिन सरकार के इस प्रस्ताव ने यह स्पष्ट कर दियाहै कि शिवराज सरकार शेर नहीं देने के मामले में गुजरात सरकार के खिलाफ कोई सख्त कदम उठाने के मूड में नहीं है,क्योंकि सीएम यह भली-भांति जानते हैं कि गिरि के शेर का मसला पीएम नरेन्द्र मोदी की नाक से जुड़ा हुआ है,जब वे गुजरात के सीएम थे,तभी से वे इसे गुजरात की शान बताते रहे हैं। इसलिए शिवराज सरकार न तो गुजरात सरकार का और न ही केन्द्र सरकार का विरोध मोल लेना चाहती है, इसीलिए यह तीसरा विकल्प तैयार किया है।
लेकिन प्रदेश सरकार की इस मंशा से वन्य प्रेमियों का निराश होना तय है,क्योंकि लोग यहां शेर का दीदार करना चाहते हैं। जून में केन्द्र को चिडिया घरों के शेर लाने का भेजा जा चुका है प्रस्ताव प्रदेश सरकार के ढीले रवैये के कारण गुजरात सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद भी कूनो के लिए शेर देने के लिए राजी नहीं है। छुटमुट प्रयासों के बाद जब मप्र वन विभाग को यह लगा कि गिरि से शेर आना मुश्किल है,तब गत जून माह में उसने एक प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजते हुए अनुरोध किया था कि यदि गुजरात से शेर नहीं आ रहे हैं तो कोई बात नहीं,देश के किसी भी चिडियाघर से शेर लाए जाएं। चार दिन पहले बोर्ड की बैठक के बाद यह तीसरा प्रस्ताव आया है,जिसमें प्रदेश के अन्यटाइगर रिजर्व से कूनो में टाइगर भेजने को कहा गया है।
प्रदेश के अन्य रिजर्व टाइगरों से कूनो में टाइगर लाए जानेके प्रस्ताव के बीच कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय(चिडियाघर)प्रदेश सरकार को कूनोपालपुर के लिए आधा दर्जन शेर देने पर तैयार हो गया है। इस संबंध में जू प्रबंधन वाइल्ड लाइफ विभाग को पत्र लिखने की तैयारी में है। जू प्रभारी का कहना है कि अगर प्रस्ताव मंजूर हुआ तो दो मादा और चार नर शेर कूनो को दिए जाएंगे। यही नहीं चिडियाघर के इन शेरों को कूनो में स्वतंत्र रूप से शिकार करने का तरीका भी जू प्रबंधन के विशेषज्ञ कूनो में रहकर सिखाएंगे,ताकि उन्हें भोजन के लिए परेशान न होना पडे़।
सन् 1996 में शुरू हुई अभयारण्य बनाने की प्रक्रिया 24 ग्रामों के सफल विस्थान के बाद पूरी हुई थी। इसके बाद भी गुजरात सरकार शुरू से ही ऐशियाई शेरों को देने से इंकार करती रही है। यह मामला वर्षों से कोर्ट में लंबित बना रहा। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात गर्वमेंट को शेर शिफ्ट करनेका फरमान सुनाया हुआ है। इसके बाद भी वह गिरि के शेर देने को तैयार नहीं दिख रही है।
कूनो नदी अभयारण्य की जीवनरेखा है। कूनो नदी,कूनो पालपुर को दो बराबर भागों में विभाजित करती है। कूनो नदी को चंबल नदी की सहायक नदी का दर्जा हासिल है। गर्मी के मौसम में नदी का बहाव रूक जाता है,परन्तु जगह-जगह गहरे कुण्डों में पानी सदैव बना रहता है। कूनो पालपुर अभ्यारण्य का आकार पत्ती जैसा है और कूनो नदी पत्ती का मध्य सिरा है।
कूनो अभयारण्य में गढी, केर खो, खेमचा का ताल, कूनो नदी,डोब कुण्ड, वन्यप्राणियों का पुराना कान्जी गृह एवं टोगरा पहाड़ आदि दर्शनीय स्थल हैं। कूनो सेंचुरी में घूमने के दौरान इन स्थलों के दीदार भी किए जा सकते हैं। पर्यटक सेलिंग क्लब शिवपुरी,पोहरी,कराहल में पीडब्ल्यूडी विश्राम गृह,सेसईपुरा,पालपुर में विश्राम गृह आदि स्थल सैलानियों के ठहरने के स्थान है।
शेर लाओ अभियान समिति संयोजक अतुल चौहान का कहना है कि प्रदेश सरकार गुजरात सीएम एवं पीएम के आगे घुटने टेक चुकी है। तभी तो गुजरात की ना के बाद भी किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से बच रही है। कूनो प्रदेश की शान है और इसमें ऐशियाई सिंह ही आएं।
इसकेलिए न केवल संघर्ष जारी रहेगा,बल्कि सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल भी लगाए जाएगी। वहीं कूनो वन मंडल डीएफओ बृजेन्द्र श्रीवास्तव का कहना है कि गुजरात के गिरि से शेर लाए जाने का मामला फिलहाल जहां का तहां हैं। इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। रही बात मुख्यमंत्री के कूनो में टाइगर लाने की बात तो उन्होंने यह सुझाव दिया है। इसकी अनुमति राज्य वन्य प्राणी बोर्ड को केन्द्र सरकार से लेनी होगी,तभी इस दिशा में कोई प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी।
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