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कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी की अनसुलझी गुत्थी

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भारत सरकार ने माना है कि वह पूर्व नौसेना अधिकारी थे और 14 साल सेवा में गुजारने के बाद समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया था। गौरतलब है कि कुलभूषण सुधीर जाधव को पाकिस्तान ने रॉ का एजेंट बताते हुए उन पर जासूसी का आरोप लगाते हुए फांसी की सजा सुनाई है। पाकिस्तान का दावा है कि उसने रॉ की जासूसी के आरोप में कुलभूषण (46) को बलूचिस्तान से पकड़ा था। हालांकि उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि उनका तालिबान ने अपहरण कर पिछले मार्च में पाकिस्तान को बेच दिया था। भारत सरकार ने माना है कि वह पूर्व नौसेना अधिकारी थे और 14 साल सेवा में गुजारने के बाद समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया था। वह 2003 में रिटायर हो गए थे। हालांकि पाकिस्तान का दावा है कि जाधव अभी भी भारतीय नौसेना के अधिकारी हैं और उनको 2022 में रिटायर होना था।
1987 में कुलभूषण जाधव नेशनल डिफेंस अकादमी (एनडीए) का हिस्सा बने और 1991 में भारतीय नौसेना की इंजीनियरिंग ब्रांच से कमीशन प्राप्त किया। रिटायर होने के बाद उन्होंने ईरान के चाबहार पोर्ट पर बिजनेस शुरू किया। जाधव मूल रूप से महाराष्ट्र से ताल्लुक रखते हैं। जब उनको बलूचिस्तान से पकड़ा गया तो उनके पास हुसैन मुबारक पटेल के नाम से पासपोर्ट पाया गया। हालांकि गिरफ्तारी के बाद से जाधव के परिवार ने मीडिया से बातचीत करने से मना कर दिया। इसलिए उनकी जिंदगी से जुड़े ज्यादातर पहलू उजागर नहीं हो सके हैं। हालांकि ऐसा माना जाता है कि 2003 में हुसैन मुबारक पटेल के नाम से उन्होंने पुणे से पासपोर्ट प्राप्त किया था। उनके पास से जो पासपोर्ट मिला था, उसमें पुणे की एक हाउसिंग सोसायटी का पता दिया गया था लेकिन वह पता अधूरा पाया गया। इस सोसायटी के लोगों का कहना है कि उनको इस नाम के किसी आदमी के बारे में न ही पता है और न ही उन्होंने कभी जाधव को देखा। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में कुलभूषण पर पाकिस्तान आर्मी कानून के तहत मुकदमा चलाया गया। पाकिस्तान लगातार यह दावा कर रहा है कि वह रॉ के एजेंट हैं। हालांकि भारत पहले ही साफ कर चुका है कि कुलभूषण रॉ एजेंट नहीं हैं। भारत ने कहा था कि वह नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी हैं, लेकिन वह किसी भी रूप में सरकार से नहीं जुड़े हुए हैं। पाकिस्तान ने आरोप लगाए कि जाधव पाकिस्तान को अस्थिर करना और पाकिस्तान के खिलाफ जंग छेडऩा चाहते थे। कुलभूषण को 3 मार्च 2016 को ईरान से पाक में अवैध घुसपैठ के चलते गिरफ्तार किया गया था।

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अगर पाकिस्तान नहीं माना तो…
यदि कुलभूषण जाधव केस में पाकिस्तान इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के फैसले का क्रियान्वयन नहीं करता तो सवाल उठता है कि फिर से भारत के पास क्या विकल्प बचते हैं। जानकारों का मानना है कि ऐसी सूरतेहाल में भारत के पास सुरक्षा परिषद में जाने का विकल्प होगा। इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र चार्टर कहता है कि संयुक्त राष्ट्र का हर सदस्य अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस के निर्णयों को मानने को बाध्य है और यदि कोई पार्टी या पक्ष फैसले के क्रियान्वयन को करने में विफल रहता है तो अन्य पक्ष या पार्टी सुरक्षा परिषद का रुख कर सकता है। उसके बाद सुरक्षा परिषद फैसले का क्रियान्वयन कराने के उपायों पर विचार करेगी।
इस संबंध में पूर्व सॉलिसिटर जनरल सिद्धार्थ लूथरा का कहना है कि हालांकि यह सही है कि जिस तरह घरेलू कोर्ट के जजमेंट को लागू किया जाता है, उस तरह इसको लागू नहीं किया जा सकता लेकिन इस तरह के सूरतेहाल में भारत पाकिस्तान के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की बात भी कह सकता है।
सिद्धार्थ लूथरा ने कहा, ”आईसीजे ऐसा निकाय है जहां आप सहमति के आधार पर जाते हैं। इस मामले में पाकिस्तान कह सकता है कि भारत ने आईसीजे में जाने से पहले हमसे सहमति नहीं ली थी तो इस मामले में कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठ सकता है।
ऐसे फैसले वास्तव में तब बाध्यकारी होते हैं जब संबंधित देश इसको मानने पर सहमति देते हैं। यदि पाकिस्तान कोर्ट के जजमेंट के खिलाफ जाता है तो भारत इस मसले को सुरक्षा परिषद के पास ले जा सकता है।” उल्लेखनीय है कि जासूसी के आरोप में कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है।

पाक पर आईसीजे का आदेश बाध्यकारी : भारत
भारत ने आज कहा कि नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव की मौत की सजा पर रोक लगाने वाला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) का आदेश पाकिस्तान पर ‘बाध्यकारी’ है। मंत्रालय ने इस फैसले को ‘सर्वसम्मत’ और ‘स्पष्ट’ बताया। हेग में आईसीजे द्वारा इस मामले में अपना अस्थायी आदेश जारी करने के कुछ ही घंटों बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि सरकार जाधव की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आईसीजे द्वारा मुहैया करायी गयी अस्थायी राहत जाधव को न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में पहला कदम है। उन्होंने कहा कि आईसीजे का आदेश सर्वसम्मत, अनुकूल, स्पष्ट और सुस्पष्ट है। यह फैसला देश के लोगों के लिए राहत की सौगात है। आईसीजे का आदेश पाकिस्तान के लागू नहीं करने की स्थिति में भारत की संभावित प्रतिक्रिया के बारे में सवालों का जवाब देते हुए बागले ने कहा कि यह आदेश पाकिस्तान पर बाध्यकारी है। गौरतलब है कि आईसीजे ने जाधव की मौत की सजा पर रोक लगा दी है। जिन्हें पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों में संलिप्त रहने के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी।

भारत की दलील

  • ये मामला पूरी तरह इस अदालत के दायरे में आता है
  • जाधव को काउंसेलर एक्सेस नहीं देना साफ तौर पर वियना कन्वेंशन का उल्लंघन है
  • केस में मदद काउंसेलर एक्सेस की शर्त नहीं हो सकती
  • मौत की सज़ा सुनाने के बाद केस में सहयोग मांगा जा रहा था
  • मिलिट्री कोर्ट में चला केस मज़ाक है
  • सेना की गिरफ्त में होते हुए लिया गया इकबालिया बयान केस का आधार है
  • भारत को जाधव के खिलाफ कोई सबूत नहीं दिए गए
  • (बिना काउंसेलर एक्सेस के) हमें ये तक नहीं पता कि वो पाकिस्तान पहुंचा कैसे
  • FIR में उसे भारतीय बताया गया पर हाई कमीशन के अधिकारियों से मिलने नहीं दिया गया
  • हमें डर है कि इस केस की सुनवाई खत्म होने के पहले ही उसे सज़ा ना दे दी जाए
  • पिछले महीने ही 18 को मिलिट्री कोर्ट के फैसले के बाद फांसी दी गई
  • इसलिए ये मामला अर्जेंट है
  • अंतरराष्ट्रीय कानूनों, मानवाधिकारों का पाकिस्तान ने पालन नहीं किया
  • फौरन सजा को रद्द किया जाए

पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव पर अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि

  • जाधव का कबूलनामा सुनना ज़रूरी
  • इसे राजनीति का रंगमंच न बनाए भारत
  • जाधव के पासपोर्ट की बात करे भारत
  • बलूचिस्तान में जाधव की गिरफ़्तारी

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